छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल | Chhattisgarh Ke Paryatan Sthal | Tourist Places in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ राज्य अपने लोक कला एवं संस्कृति के साथ ही साथ खनिज संपदा, वन संपदा तथा पर्यटन स्थल के क्षेत्र में भी आगे है। छत्तीसगढ़ राज्य का इतिहास बहुत पुराना है यहां प्राचीनकाल के कई प्रमाण मिले है। राज्य में बहुत से किले, मंदिर आदि का ऐतिहासिक महत्व है। छत्तीसगढ़ एक नवीन राज्य है किंतु यह ऐतिहासिक दृष्टि से अतीव संपन्न एवं समृध्य राज्य है, जिसमें ऐतिहासिक, धार्मिक, प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से अनुपम पर्यटन स्थल स्थित है।

Tourist Places in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल राष्ट्रीय स्तर के अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशेष छाप छोड़ता है। छत्तीसगढ़ के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल का गठन 18 जनवरी 2002 को किया गया। छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों (Chhattisgarh ke Paryatan Sthal) का जिलेवार विवरण नीचे दिया गया है।

छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थलों की सूची


1. जशपुर जिले के पर्यटन स्थल

■ जशपुर नगर - रानीदाह प्रपात, दमेरा प्रपात, इंदिरा घाट, लारो घाट

 पत्थलगांव - किलकिला घाटियां, नंदन झारियां, कोसलापाठ देवता स्थित है।

■ कुनकुरी - मधेश्वर पहाड़, बेनेप्रपात, महागिरजाघर (एशिया का दूसरा बड़ा चर्च) यह जशुपर पाट प्रदेश में स्थित है।

■ बगीचा - नाशपाती, लीची, आम के बगीचों की घाटियां, खुड़िया रानी की गुफा एवं प्रपात।

 सन्ना - यह एक प्राकृतिक स्थल है।

■ सोग्रा अघोर आश्रम - भगवान अघोरेश्वर का आश्रम

■ खुड़ियारानी गुफा - यह बगीचा क्षेत्र में स्थित है जहां खुड़ियारानी का मंदिर है।

■ तपकरा - ईब नदी के तट पर स्थित है। सापों की अधिकता होने के कारण इसे "छत्तीसगढ़ के नागलोक" नाम से जानते हैं। यहां देश का दूसरा विष संग्रहण केन्द्र स्थापित किया जायेगा।

■ गुफा - 1. खुड़िया रानी गुफा 2. कैलाश गुफा - गहिरा गुरू आश्रम (श्री रामेश्वर गुरू गहिरा बाबा)

■ लोरो घाटी - फूलो के लिए प्रसिद्ध है।

2. मनेन्द्रगढ़ - चिरमिरी - भरतपुर जिले के पर्यटन स्थल

घाघरा - प्रस्तरों का मंदिर, सीतामढ़ी गुफा

 हरचौका - देवी देवताओं  का प्राचीन मंदिर एवं गुफाएं 

मुरेरगढ़ (उमरवाह) - प्राचीन किला एवं मंदिर, हिल स्टेशन

■ कोटाडोल - प्राचीन किला एवं पुरातात्विक स्थल अशोक कालीन मूर्तियां।

■ पोंड़ी - चिरमिरी - जगन्नाथ मंदिर

■ भगवानपुर - भरतपुर - चांगदेवी मंदिर

3. बलरामपुर जिले के पर्यटन स्थल

■ डीपाडीह - कन्हार नदी के तट पर स्थित पुरातात्विक स्थल है। यहां सामत सरना मंदिर समूह, रानी पोखरा मंदिर, बोरजाटीला मंदिर इत्यादि स्थित है।

 अर्जुनगढ़ - यहां प्राचीनतम किल्के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। इस पहाड़ी पर घीरियालता गुफा है।

■ तातापानी - तातापानी में गर्म पानी का फौव्वारा है। तातापानी में 130 मेगावाट तक विद्युत उत्पादन किया जाता है। यह प्रदेश का एकमात्र जियो थर्मल पावर प्रोजेक्ट स्थापित है।

■ जलप्रपात - 1. कोठली जलप्रपात (कन्हार नदी) 2. पवई जलप्रपात (चिनार / चनान नदी)

■ अन्य पर्यटन स्थल - सामत सरना का शिव मंदिर, नागेश्वर शिवमंदिर, बेलसर का शिव मंदिर, हर्राटोला का शिव मंदिर, परेवादाह, चितामाड़ा, देवीझरिया आदि।

4. सरगुजा जिले के पर्यटन स्थल

■ मैनपाट - छत्तीसगढ़ का शिमला। यहां से मांड नदी का उद्गम हुआ है।

 बौद्ध मंदिर - यह मंदिर मैनपाट में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण परम्परागत बौद्ध वास्तुकला के अनुसार किया गया है।

 टाईगर प्वाइंट - मैनपाट के पूर्वी भाग से महादेव मुड़ा नदी बहती है जिसमें टाइगर प्वाइंट जलप्रपात निर्मित है । पहले यहाँ टाइगर घूमा करता था इसी कारण इसका नाम टाईगर प्वांइट पड़ा।

■ मछली (फिश) प्वाइंट जलप्रपात - पहाड़ी नाला पर निर्मित जलप्रपात है जहां पर बहुत अधिक मछलियां मिलती है। इसी आधार पर मछली प्वाइंट कहते हैं।

■ परपटिया - मैनपाट के पश्चिमी भाग से बंदरकोट की दुर्गम ऊंची पहाड़ी है। प्राकृतिक गुफा रकामाड़ा, जनजातियों के आस्था का प्रतीक दूल्हा - दुल्हन पर्वत बनरई बांध, श्याम धनुघुट्टा के बांध।

 मेहता प्वाइंट - यहां पर झरने व जलप्रपात हैं जो सरगुजा और रायगढ़ की सीमा बनाती है।

■ देव प्रवाह झरना - पहाड़ी नाला से निर्मित झरना।

 गुफाएँ - बंदरकोट, रकामाड़ा, भालू माड़ा, झील गुफा, पैगा गुफा।

 एडवेंचर जोन - परपटिया, मालतीपुरी।

 पर्यटन परिपथ - परपटिया नान दमाली ट्रेकिंग, इको बाटनिकल ट्रेल, मेडिको बाटनिकल ट्रेल (मछली नदी), मेडिसिनल ट्रेल मालतीपुर।

 सांस्कृतिक वैभव - ट्राईवल विलेज अवगवां, तिब्बती कैंप।

 जन आस्था - बौद्ध मठ, काली मंदिर, बंजारी मंदिर, जंगलेश्वर मंदिर, पनही पखना, दूल्हा - दुल्हिन।

 घाटियाँ - कदनई, करदन, सकरिया, गोविंदपुर, पैगा।

■ महेशपुर - रिहन्द नदी के तट पर स्थित पुरातात्विक स्थल है। यहां पर निम्नलिखित साक्ष्य प्राप्त हैं - 1. प्राचीन शिव मंदिर, 2. कुड़िया - झोरी - मोड़ी, 3. ऋषभनाथ तीर्थकर, 4. निशान पखना (देउरटीला)

■ रामगढ़ की पहाड़ी - यह सरगुजा में स्थित है। यह सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला का भाग है। किवदंती अनुसार कालिदास द्वारा मेघदूत की रचना रामगिरि की पहाड़ी में की गई है।

 हाथी पोल गुफा - इस गुफा में विशाल सुरंग है जिसमें एक हाथी आसानी से गुजर सकता है इसलिए इसका नाम हाथीपोल रखा गया है। इस गुफा के अंदर एक कुण्ड है। जिसे सीता कुण्ड के नाम से जानते हैं।

■ सीताबेंगरा गुफा - सीताबेंगरा का आशय सीता का निवास स्थान से है। जनश्रुति अनुसार कहा जाता है कि माता सीता प्रवास के दौरान इसी गुफा में रहती थी।

■ जोगीमारा की गुफा - यह गुफा रामगढ़ की पहाड़ी सरगुजा में स्थित है। यह गुफा सीताबेंगरा गुफा से सटी हुई है। यह नृत्यांगनाओं का विश्राम कक्ष था।

 तुर्रापानी - सीताबेंगरा से आगे खड़ी चट्टानों में पानी की एक धारा बहती है जिसे तुर्रापानी कहते हैं।

 रावण दरवाजा - यहां एक विशाल पत्थर को तराश कर दरवाजा बनाया गया है जिसे सिंह दरवाजा कहा गया है। इसी के अंदर रावण दरवाजा, रावण की मूर्ति, कुंभकरण की मूर्ति, सीता जी एवं हनुमान जी की प्रतिमा रखी हुई है।

 लक्ष्मण बेंगरा की गुफा

■ रामगढ़ का किला - यह किला तुर्रा के समीप स्थित है। जनश्रुति अनुसार मुनि वशिष्ट यहां तपस्या करते थे इस कारण अंदर स्थित गुफा को वशिष्ट गुफा नाम दिया गया है।

■ अंबिकापुर - यह छत्तीसगढ़ का सबसे ठण्डा स्थान है, यहां मां महामाया मंदिर एवं तकिया मजार स्थित है।

■ तकिया - मजार - प्रसिद्ध पर्यटन स्थल तकिया - मजार अम्बिकापुर में है। यहां बाबा मुराद शाह का मजार है।

 ठिनठिनी पखना - अम्बिकापुर के समीप पत्थरों का एक समूह है जिसे कठोर वस्तुओं से ठोंकने पर धातुओं के समान आवाज आता है।

 जलजली - यह एक भूकंपित क्षेत्र है।

 उल्टापानी - मैनपाट क्षेत्र में स्थित है। यहां पानी का बहाव नीचे की तरफ न होकर ऊपर की ओर होती है।

 देवटिकरा - छेरिका देउर मंदिर है जो प्राचीनतम शिव मंदिर है।

 महारानीपुर - सीतापुर तहसील क्षेत्र अंतर्गत इस गांव में यह प्राचीनतम मंदिर है जो वर्तमान में जीर्ण स्थिति में है।

 सतमहला मंदिर (कलचा - भदवाही) - यहां पंचायतन शैली में भगवान शिव के मंदिर का अवशेष प्राप्त हुए हैं।

 पारदेश्वर शिव मंदिर

 पउरी - दरवाजा

 देवगढ़ - अर्धनारीश्वर शिव मंदिर

 लक्ष्मणगढ़ - पुरातात्विक स्थल

■ घाटियां - कदनई, सकरिया, पैगा की घाट 

5. सूरजपुर जिले के पर्यटन स्थल

■ सारासोर - गंगाधर मंदिर जलधारा

■ सूरजपुर - काल भैरव का मंदिर, सीतालेखनी, खोपाधाम

■ डुगडुगी पत्थर - भैयाथान तहसील के समीप जामड़ी ग्राम के पहाड़ी के शीर्ष पर स्थित पत्थर है जिसे हिलाने पर डुगडुगी की आवाज आती है, इसलिए इस पत्थर का नाम डुगडुगी रखा गया है।

■ सीतालेखनी की पहाड़ी - प्रदेश का प्रथम पक्षी अभ्यारण्य प्रस्तावित।

कुदरगढ़ - वागेश्वरी देवी का मंदिर, कुदरगढ़ देवी, किला, कपिलधारा।

■ अन्य पर्यटन स्थल - कुंदरुघाघ जलप्रपात, जुबा जलप्रपात, बिलद्वार।

6. कोरिया जिले के पर्यटन स्थल

■ बैकुंठपुर - छिपछिपी देवी का मंदिर

■ कोरिया पैलेस

7. धमतरी जिले के पर्यटन स्थल

■ धमतरी - बिलाई माता का मंदिर, प्राचीन किला, रामचन्द्र मंदिर।

■ सिहावा पर्वत - यहां श्रृंगी ऋषि मेला लगता है। फरसिया नामक स्थान से महानदी का उद्गम होता है।

■ कर्णेश्वर महादेव का मंदिर - इस मंदिर के निकट एक जलकुंड स्थित है और यहां एक मान्यता चली आ रही है कि इस जलकुंड में स्नान करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल जाती है। यहां पर प्रतिवर्ष कर्णेश्वर मेला का आयोजन होता है।

सिहावा - कर्णेश्वर महादेव, शांतागुफा, सरोवर गुफा, सप्तऋषि आश्रम।

 विश्रामपुरी - राम लक्ष्मण टेकरी

 सीता नदी वन्यजीव अभ्यारण्य

■ गंगरेल बाँध (रविशंकर जलाशय)

 अंगरमोती माता का मंदिर

देवपुर कण्डेल - डोंगेश्वरघाट, पातालेश्वर महादेव

8. गरियाबंद जिले के पर्यटन स्थल

■ राजिम - यहाँ महानदी, पैरी व सोंदूर नदी का संगम है। राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है। छत्तीसगढ़ विधानसभा में राजिम में कुंभ मेला हेतु 2006 में विधेयक पारित किया गया। प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक यहां मेले का आयोजन किया जाता है जिसे कुंभ मेले की संज्ञा दी जाती थी किन्तु वर्तमान में 2019 से इसे पुन्नी मेला के नाम से जानी जाती है।

■ राजीव लोचन मंदिर - यह पंचायत शैली में निर्मित वैष्णव धर्म से संबंधित है। राजीव लोचन विष्णु मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

■ पंचकोसी यात्रा - यह पांच दिनों तक चलने वाली 25 कोस पैदल चलकर पांच पड़ाव में पांच शिवलिंगों का दर्शन करते हैं। इसका प्रारंभ एवं समापन त्रिवेणी संगम पर स्थित कुलेश्वर महादेव मंदिर के पूजा - पाठ से सम्पन्न होता है। पंचकोसी यात्रा में क्रमशः पांच शिवलिंग का दर्शन करते हैं -
1. पटेश्वरनाथ (पटेवा)
2. बम्हनेश्वरनाथ (बम्हनी)
3. फणेश्वरनाथ (फिंगेश्वर)
4. चम्पेश्वरनाथ (चम्पारण)
5. कोपेश्वरनाथ (कोपरा)
इन पांच मंदिरों का केन्द्र राजिम का कुलेश्वर मंदिर है।

■ कुलेश्वर महादेव मंदिर - महानदी, पैरी, सोंढूर के संगम पर निर्मित है। यहां प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक मेला लगता है।

■ फिंगेश्वर - 1. फणीकेश्वरनाथ मंदिर, 2. महादेव मंदिर, 3. मावली माता मंदिर

■ पांडुका - महर्षि महेश योगी का आश्रम

 जतमई जलप्रपात - झरना, प्राकृतिक एवं धार्मिक पर्यटन स्थल

 जतमई जलप्रपात

■ घटारानी जलप्रपात

■ सिकासार जलाशय

■ उदंती अभ्यारण्य

■ देवधारा जलप्रपात

■ गोदना जलप्रपात

9. महासमुंद जिले के पर्यटन स्थल

■ सिरपुर - यह महानदी के तट पर स्थित है। यहां पर बौद्ध हिन्दू और जैन मंदिरों और मठों के स्मारक है। यह धार्मिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक स्थल है, जिसे प्राचीन काल में श्रीपुर एवं चित्रांगदापुर के नाम से भी जाना जाता है। जिसे पुरीय वंशीय एवं पान्डुवंशीय शासकों की राजधानी होने का श्रेय है।

 लक्ष्मण मंदिर - इसके गर्भगृह में - भगवान विष्णु की प्रतिमा है। निर्माणकर्ता - पाण्डुवंशीय शासक हर्ष गुप्त की पत्नी वासटादेवी ने अपने पति के स्मृति में निर्माण कार्य प्रारंभ किया था। महाशिवगुप्त बालार्जुन के काल में निर्माण कार्य पूर्ण हुआ। यह मंदिर पूर्ण लाल ईंटों से बना है, जिसमें देवी - देवताओं , पुष्प एवं पशुओं का कलात्मक चित्रांकन किया गया है।

 स्वास्तिक बौद्ध विहार - स्वास्तिक विहार बौद्ध धर्म से संबंधित है। अवदान शतक के अनुसार गौतम बुद्ध यहां आए थे। यहां प्रतिवर्ष बुद्ध पूर्णिमा में सिरपुर महोत्सव का आयोजन एवं माघ पूर्णिमा में मेला लगता है।

 आनंद प्रभु कुटीर विहार - पाण्डुवंशीय शासक महाशिवगुप्त बालार्जुन के काल में 650 ई. में बौद्ध भिक्षु आनंद प्रभु के द्वारा।

 गंधेश्वर महादेव मंदिर - गंधेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्वार चिमनाजी मोंसले ने कराया था।

 तिवरदेव विहार - पंचतंत्र आधारित प्रसिद्ध कहानियाँ रूपायित है।

 बालेश्वर महादेव का मंदिर - श्वेतगंगा कुण्ड

■ खल्लारी - खल्लारी का प्राचीन नाम - खल्लवाटिका था। यह महाभारत कालीन स्थल है।

■ खल्लारी माता मंदिर - यह मंदिर कल्चुरी शासक ब्रम्हदेव के शासन काल के दौरान 1415 ई. में देवपाल नामक व्यक्ति द्वारा निर्मित। विशेष – मंदिर से 3 किमी . की दूरी पर गुंबदनुमा चट्टान है जहां पर खल्लारी माता की बहन खोपड़ा निवास करती थी।

■ भीम खोह - भीम का पद चिन्ह

■ लाक्षागृह - यहां दुर्योधन ने पांडवों को जलाकर मारने का षड्यंत्र रचा था।

■ चंडीमाता मंदिर - घुंचापाली बीरकोनी गांव (बागबहरा)

■ मुंगई माता का मंदिर - बावनकेरा (महासमुंद)

■ हजरत जाकिर शाह कादरी रहमतुल्लाह अलैह दरगाह -  बावनकेरा (महासमुंद)

 कोडार बांध - महासमुंद

■ सुअरमारगढ़ - प्राचीन गढ़ (किला), जलाशय व गुफा।

■ देवदरहा जलप्रपात

■ दलदली - यहां पर प्राचीन शिव मंदिर और गोधारा है जहां निरंतर जल प्रवाह होता रहता है।

10. बलौदाबाजार - भाटापारा जिले के पर्यटन स्थल

■ गिरौदपुरी - गिरौदपुरी संत गुरू घासीदास जी की जन्मस्थली। गिरौदपुरी में स्थित जैतखाम की ऊँचाई 77 मीटर है जिसकी तुलना कुतुबमीनार से की जाती है।

■ छाता पहाड़ - यह बलौदाबाजार जिले में स्थित है।

■ तेलासीबाड़ा - यह सतनाम पंथ से संबंधित स्थल है जो पलारी तहसील के अंतर्गत आता है।

■ दामाखेड़ा - समाधि मंदिर स्थित है। यह कबीर पंथियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। प्रदेश में सर्वप्रथम कबीर पंथियों के 12 वें वंशगुरू उग्रनाम साहब के द्वारा यहां पर कबीर मठ की स्थापना वर्ष 1903 में की गई। इस आश्रम के प्रशासक को महंत कहते हैं, यहां नियमित प्रार्थना, चौका आरती होता है।

■ पलारी - सिद्धेश्वर मंदिर स्थित है (प्राचीनतम शिव मंदिरों में से एक) जिसका निर्माण 8-9वीं शताब्दी में हुई है यह महानदी के तट पर स्थित है।

■ डमरू - यह शिवनाथ नदी के तट पर स्थित दुर्ग मुक्त एक ग्राम है।

■ सोमनाथ - शिवनाथ तथा खारून नदियों का संगम सोमनाथ पर है। यहाँ भगवान शिवजी का सोमनाथ मंदिर स्थित है।

■ तुरतुरिया - तुरतुरिया वाल्मिकी ऋषि से संबंधित है। लव कुश का जन्म स्थल है।

■ सिंगारपुर - मावलीमाता मंदिर, राधा - कृष्ण मंदिर, परमेश्वरी देवी मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर।

■ धोबनी - चितावरी देवी मंदिर

■ सोनाखान - छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह का कर्म भूमि क्षेत्र। 1857 समय वीरनारायण सिंह के द्वारा विद्रोह किया गया था।

11. रायपुर जिले के पर्यटन स्थल

■ रायपुर - छत्तीसगढ़ राज्य पशु विकास अभिकरण की स्थापना - जून 2001 में रायपुर में की गई है। यह खारून नदी के तट पर स्थित है। कल्चुरी शासक रामचन्द्र देवराय ने अपने पुत्र ब्रम्हदेव राय के नाम पर बसाया था। 1818 - एगेन्यू द्वारा रतनपुर से रायपुर राजधानी स्थानांतरित। छत्तीसगढ़ का सबसे प्राचीन नगर निगम रायपुर 1967 में बनाया गया।

 दूधाधारी मठ - निर्माणकर्ता - बलभद्र दास

■ हाटकेश्वर महादेव मंदिर - स्थान - रायपुर

 श्रीधाम अघोरी मठ - इकलौता मठ जिसका पूरा गुंबद श्रीयंत्र से निर्मित है। इसके 43 तिकोने हैं जिसमें एक-एक शिवलिंग है। यह प्रोफेसर कॉलोनी श्रीधाम रायपुर में स्थित है। यहां 2004 में बाबा औघड़नाथ रायपुर आए थे तभी यहां पर सम्मेलन हुआ था।

■ पुरखौती मुक्तांगन - 2006 में ऊपरवाड़ा रायपुर में स्थापित एक संग्रहालय है। फिल्म सिटी 300 एकड़ में प्रस्तावित।

 महंत घासीदास संग्रहालय - 1921 में सातवाहनकालीन काष्ठ स्तंभ को रखा गया है। इस परिसर में महाकौशल कला वीथिका स्थापित किया गया है।

 स्वामी विवेकानंद सेवाश्रम - इसका निर्माण 1958 में स्वामी आत्मानंद द्वारा किया गया था।

 बूढ़ा तालाब - अन्य नाम - विवेकानंद सरोवर, कंकाली तालाब

 जैतू साव मंदिर

 जंगल सफारी, नंदनवन

 नगर घड़ी

■ चंदखुरी - भगवान राम चन्द्र जी की माता 'कौशल्या का मंदिर' स्थित है जिसका निर्माण 1973 में हुआ है। इसके गर्भगृह में रामचंद्र जी कौशल्या माता के गोद में लेटे हुए हैं। चंदखुरी को चंद्रखुरी के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ ईश्वर की भूमि होता है। यहां सुभाष चन्द्र बोस राज्य पुलिस प्रशिक्षण अकादमी स्थित है।

■ आरंग - छत्तीसगढ़ की मंदिरों की नगरी के नाम से प्रसिद्ध है। यहां भांडलदेव मंदिर (जैन तीर्थंकर - अजीतनाथ, श्रेयांश की मूर्तियां स्थित है)।

■ चम्पारण - प्रसिद्ध वैष्णव संत वल्लभाचार्य की जन्मस्थली है। यहां का चम्पेश्वर महादेव का मंदिर दर्शनीय है।

■ माना - माना में  स्वामी विवेकानंद हवाई अड्डा स्थित है। छत्तीसगढ़ का दूसरा साईंस पार्क स्थापित है। (प्रथम - सुकमा)

■ बरबंदा - स्वामी आत्मानंद का जन्मस्थली है। इन्होंने 1958 ई . में रायपुर में विवेकानंद सेवा आश्रम तथा नारायणपुर में 1985 में विवेकानंद आश्रम की स्थापना किये।

12. गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के पर्यटन स्थल

■ जलेश्वर धाम - यहां प्राचीन शिवमंदिर स्थित है।

■ लक्ष्मण धारा

■ झोझा जलप्रपात

■ कबीर चबूतरा

13. सारंगढ़ - बिलाईगढ़ के पर्यटन स्थल

 सारंगढ़ - गिरीविलास महल, गाकडी, सालर (इलियट का कब्रगाह)

■ पुजारीपाली (शशिनगर) - इसका निर्माण 7-8वीं शताब्दी में लाल ईंटों से निर्मित किया गया। यहां केंवटीन मंदिर (शिव का मंदिर है) स्थित है।

 बिलाईगढ़  - बिबली का किला, किलबिली माता का मंदिर

14. जांजगीर-चांपा जिले के पर्यटन स्थल

■ जांजगीर - 12 वीं शताब्दी में कल्चुरी शासक जाजल्यदेव प्रथम द्वारा स्वयं के नाम पर जाजल्यपुर नामक शहर बसाया गया। जिसे वर्तमान जांजगीर के रूप में चिन्हांकित किया गया है, आज भी जाजल्यदेव की स्मृति में प्रतिवर्ष जाजल्य महोत्सव मनाया जाता है एवं साथ ही, विष्णु मंदिर का निर्माण कराया।

■ विष्णु मंदिर - निर्माणकर्ता - जाजल्यदेव प्रथम। यह जांजगीर स्थित है। यह सप्तशैली से निर्मित है।
इस मंदिर का शिखर अधूरा है। स्थानीय स्तर पर इसे नकटा मंदिर कहा जाता है। इसके समीप भीमा तालाब स्थित है।

■ नहरिया बाबा मंदिर - नहरिया बाबा मंदिर जांजगीर में स्थित है।

■ खरौद - इसे छत्तीसगढ़ का काशी का संज्ञा दी गई है। यहाँ 1. शबरी मंदिर, 2. लक्ष्मणेश्वर मंदिर स्थित है। गर्भगृह में शिवलिंग स्थित है।

■ शिवरीनारायण - यह जांजगीर - चांपा जिले में स्थित है।शिवरीनारायण महानदी, शिवनाथ व जोंक नदी के संगम पर स्थित है। मंदिर - 1. नर - नारायण मंदिर, 2. केशव - नारायण मंदिर, 3. जगन्नाथ मंदिर, 4. चन्द्रचूड़ का मंदिर। यह रामायणकालीन स्थल है जहां माता शबरी का आश्रम है, यहां पर ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने अपने 14 वर्ष के वनवास के समय यहाँ माता शबरी के जूठे बेर खाये थे।

 चांपा - समलेश्वरी मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, राजमहल

■ पीथमपुर - यह हसदेव नदी के तट पर जांजगीर - चांपा जिले में स्थित है। जहां कलेश्वर महादेव का मंदिर है।

■ दलहा पहाड़ - यहाँ सिद्धमुनी आश्रम, नागेश्वर धाम मंदिर स्थित है। नागपंचमी के दिन मेला आयोजित होती है। दलहा पहाड़ अकलतरा में स्थित है। विश्वेश्वरी देवी मंदिर, अर्धनारीश्वर धाम।

■ कोटमीसोनार - कोटमीसोनार में क्रोकोडाइल पार्क स्थित है। यहां मगरमच्छ का कृत्रिम रूप से संरक्षण किया जा रहा है।

■ किरारी गांव - किरारी गांव यहां के एक तालाब से सातवाहन कालीन काष्ठ स्तंभ की प्राप्ति हुई है। जिसमें सातवाहन वंशीय कर्मचारी, अधिकारियों का नामोल्लेख है। सन् 1921 में खोजा गया और वर्तमान में इसे महंत घासीदास संग्रहालय रायपुर में रखा गया है।

15. सक्ती जिले के पर्यटन स्थल

 सक्ती - दमऊदहरा (गुंजी), पंचवटी, रावनखोल

 ऋषभ तीर्थ - इसे दमउदहरा नाम से भी जाना जाता है जहां पर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव की मूर्ति है।
• यहां पहाड़ी नाला पर झरना बहती है जिसे दमउदहरा जलप्रपात के नाम से जानते हैं।
• गुंजी में सातवाहन वंशीय राजकुमार वरदत्तश्री की शिलालेख प्राप्त हुआ है, जिसमें अपने आयु वृद्धि के लिए ब्राम्हणों को 1000 गाय दान देने का उल्लेख है।
• रामजानकी एवं राधा - कृष्ण मंदिर, जोबा पहाड़ आश्रम, छछान पानी, रैनखोल स्थित है।

■ तुर्रीधाम (बासिन) - मकर संक्रांति व महाशिवरात्रि में मेला होता है। यहां प्राकृतिक शिवलिंग स्थापित है, जिसमें अनवरत जलधारा बहती रहती है।

 अड़भार - अष्टभुजी माता मंदिर, भग्न शिव मंदिर

■ चंद्रपुर - चन्द्रहासिनी देवी एवं नाथल दाई का मंदिर स्थित है। नाथल दाई का मंदिर महानदी के बीचो - बीच स्थित है। यह कोसा शिल्प के लिए मशहूर स्थान है। मांड और महानदी के संगम पर चंन्द्राहासिनी देवी मंदिर स्थित है।

 बावनबाड़ी - माता कांशीगढ़ किला

16. रायगढ़ जिले के पर्यटन स्थल

■ सिंघनपुर की गुफा - यह चंवरढाल पहाड़ी पर स्थित शैलचित्र। यह पूर्व पाषाणकालीन स्थल, शैलचित्र के लिए चर्चित है। प्रदेश में खोजी गई सबसे पहली गुफा है।

■ रामझरना - यह रामायणकालीन स्थल है।

■ बोतल्दा गुफा - यह छत्तीसगढ़ की सबसे लम्बी गुफा है।

■ कबरा पहाड़ का गुफा - यह मध्य पाषाणकालीन स्थल है। प्रदेश में सर्वाधिक शैल चित्र लाल रंग के सांभर, घड़ियाल की सीढ़ीनुमा शैल चित्र है।

■ भैंसगढ़ी शैलाश्रय - प्रागैतिहासिक कालीन शैलचित्र युक्त गुफा।

■ बसनाझर शैलाश्रय - सिंघनपुर के समीप स्थित प्राचीनतम शैलचित्र युक्त गुफा।

■ टीपाखोल (प्राकृतिक) - यहां मानव एवं पशु - पक्षियों के शैलचित्र चित्रित है। 

■ खैरपुर - यहां अंकित शैलचित्र अंधेरे में चमकते हैं। खैरपुर की पहाड़ी में यह गुफा स्थित है।

■ ओंगना - धरमजयगढ़ के समीप स्थित। यहां प्राचीनतम शैलाश्रय स्थित है। यह ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक स्थल है।

■ करमागढ़ पहाड़ - यह पहाड़ बांस एवं अन्य झाड़ियों से आच्छादित व अनेक शैल चित्र है।

■ बेनीपाट शैलाश्रय - करमागढ़ शैलाश्रय के पश्चिम दिशा में स्थित है।

■ खरसिया - छोटे पंडरमुड़ा, अमरगुफा

■ बार एवं देवगांव - मौर्यकालीन साक्ष्य

■ धरमजयगढ़ - शिशरिंगा घाट, ओंगना

 सुतीघाट - यहां पर चित्रित किसान हल हाथ में लिये हुए हैं। 

■ गाताडीह - पशु आकृतियां, मानवाकृतियों का अंकन।

■ सिरौली - डोंगरी शैलाश्रय, पशुओं का अंकन।

■ छोटे पंडरमुड़ा - पाषाणयुगीन कब्रगाह प्राप्त हुए हैं।

17. कोरबा जिले के पर्यटन स्थल

■ पाली का शिव मंदिर - इसका अन्य नाम प्रस्तर शिवमंदिर है। इसका निर्माण 9 वीं सदी में राजा विक्रमादित्य (बाणवंशी शासक) द्वारा किया गया था।

■ लाफागढ़ - यह दुर्गम पहाड़ की चोटी पर स्थित है। लाफागढ़ का किलाबंदी कार्य पृथ्वीदेव प्रथम के द्वारा किया गया था। इसमें प्रवेश हेतु तीन द्वार हैं - 1. मेनका द्वार, 2. हुंकार द्वार, 3. सिंह द्वार। ये मैकल श्रेणी के अंतर्गत आने वाली पहाड़ियां है। रत्नदेव प्रथम द्वारा निर्मित महिषासुर मर्दिनी मंदिर स्थित है।

■ चैतुरगढ़ - इसकी चोटी पर एक किला स्थित है जिसे चैतुरगढ़ का किला कहा जाता है। ब्रिटिश अधिकारी वैंगलर ने इसे दुर्गम व अभेद्य किला कहा है। इस किले का निर्माण राजा बाहरेन्द्र साय द्वारा 14 वीं शताब्दी में करवाया गया था। इसकी प्राकृतिक सुन्दरता के कारण इसे छत्तीसगढ़ का कश्मीर भी कहा जाता है।

■ महिषासुर मर्दिनी मंदिर - पहाड़ी के शीर्ष भाग पर स्थित है जिसका निर्माण कलिंगराज द्वारा करवाया गया था।

■ शंकर खोल गुफा - यह शिवजी का गुफा है जिसके दर्शन के लिए व्यक्ति को झुककर अंदर जाना पड़ता है।

■ कुदुरमाल - इसकी स्थापना गुरू मुक्तामणि साहब द्वारा किया गया। यह कबीरपंथ का तीर्थ स्थल है।

■ तुमान - इसकी स्थापना - 1000 ई. में हुई थी। छत्तीसगढ़ में कल्बुरियों की प्रारंभिक राजधानी कलिंगराज द्वारा स्थापित है। रत्नदेव प्रथम द्वारा बंकेश्वर शिव मंदिर एवं पृथ्वीदेव प्रथम द्वारा पृथ्वीदेवेश्वर मंदिर का निर्माण किया गया था।

■ कोसईगढ़ - यह हसदेव नदी के समीप पुटका पहाड़ी पर स्थित है। यह 36 गढ़ों में से एक गढ़ है। यहां कोसगई देवी का मंदिर स्थित है। रतनपुर कल्चुरी के बाहरेन्द्र साय ने इसे अपना राजधानी बनाया।

■ लेमरू - हाथी वन्यजीव अभ्यारण्य बनाये जाने हेतु प्रस्तावित है। जिसमें कोरिया और सरगुजा जिले के भी कुछ क्षेत्र शामिल किए जायेगे। इसकी घोषणा 15 अगस्त 2019 को किया गया था।

■ अन्य पर्यटन स्थल - 1. सतरेंगा, 2. केन्दई जलप्रपात, 3. हसदेव बांगो बांध, 4. देवपहरी जलप्रपात, 5. मड़वा रानी मंदिर, 6. सर्वमंगला मंदिर, 7. कनकी कंकेश्वर मंदिर, 8. बुका जलाशय (छत्तीसगढ़ का मॉरीशस)

18. मुंगेली जिले के पर्यटन स्थल

 सेतगंगा - सेटगंगा कुण्ड, रामजनकी मंदिर, पुरातात्विक मूर्तियां।

■ मदकू द्वीप - यह स्थल शिवनाथ एवं मनियारी नदी के संगम में स्थित है।

■ राजीव गांधी जलाशय | खुड़िया जलाशय - राजीव गांधी जलाशय मनियारी नदी में खुड़िया ग्राम (लोरमी) के समीप स्थित है।

■ शिवघाट स्थान मंदिर - यह मनियारी नदी के तट पर लोरमी में स्थित है। यहाँ 300 वर्ष प्राचीन शिवलिंग की प्रतिमा स्थित है।

■ धूमनाथ / धूमेश्वर मंदिर - यह मंदिर सरगांव में स्थित है। इसके गर्भगृह में सिन्दूर पुती हुई मूर्ति स्थापित कर धूमेश्वरी देवी के नाम से इसकी पूजा की जाती है।

19. बिलासपुर जिले के पर्यटन स्थल

■ बिलासपुर - बिलासपुर की स्थापना 14 वीं सदी में कल्चुरी शासक रत्नदेव द्वितीय के द्वारा हुआ। बिलासपुर जिले का नामकरण बिलासाबाई केंवटिन के नाम पर किया  है। बिलासपुर छत्तीसगढ़ की न्यायधानी है। यह राजस्व मंडल का मुख्यालय है। 1861 में बिलासपुर एक जिला बना, 1956 में बिलासपुर को संभाग का दर्जा मिला, 1867 में बिलासपुर को नगर पालिका का दर्जा मिला एवं 1981 में बिलासपुर को नगर निगम बना। बिलासपुर को छत्तीसगढ़ का शिवाकाशी (माचिस उद्योग) कहा जाता है। बिलासपुर वन मण्डल के अधीन कानन पेण्डारी जू स्थित है। तिफरा, बिलासपुर में स्थित काली माई मंदर विख्यात है।

■ रतनपुर - कल्चुरी वंश के शासक रत्नदेव प्रथम ने 1050 ई. (11 वीं शताब्दी) में नगर बसाया था। अतः इसका नाम रतनपुर पड़ा, इस काल में इसको कुबेरपुर के नाम से भी जाना जाता था। रतनपुर 5 खण्डों में बँटा था - 1. तुमानखोल, 2. नलखोल, 3. देवीखोल, 4. भैरवखोल, 5. वराहखोल। रतनपुर को तालाबों की नगरी कहा जाता है। पूर्व नाम - कुबेरपुर, (मणिपुर - ताम्रध्वज की राजधानी)। छत्तीसगढ़ की प्राचीनतम् राजधानी (1818 ई. में एगेन्यू ने रतनपुर से रायपुर राजधानी परिवर्तित कर दिया।)

 आदिशक्ति माँ महामाया मंदिर - यह मंदिर रतनपुर में स्थित है। इसका निर्माण - 1050 ई. (11 वीं शताब्दी) में हुआ। निर्माणकर्ता - रत्नदेव प्रथम।

■ श्री खंडोबा मंदिर (रतनपुर) - मराठों का इष्टदेव

■ लखनी देवी मंदिर (एकवीरा मंदिर) - निर्माण - 12 वीं शताब्दी (1163)। निर्माणकर्ता - रत्नदेव तृतीय के प्रधानमंत्री गंगाधर द्वारा स्थापित

 रामटेकरी मंदिर (रतनपुर) - निर्माण - 18 वीं शताब्दी। निर्माणकर्ता - बिम्बाजी भोंसले 

 सती चौंरा - निर्माण - 18वीं शताब्दी। छत्तीसगढ़ की प्रथम सती उमाबाई के सती होने का प्रतीक। उमाबाई बिम्बाजी भोंसले की पत्नी थी।

■ सती मंदिर - इसे बीस दुअरिया मंदिर भी कहते हैं।

 रतनपुर किला - इसे गज किला कहा जाता है। गज का किले में रावण की ऐसी मूर्ति स्थित है जो अपना सिर काट रहा है। यहाँ पर सिंह दरवाजा, भैरव दरवाजा, गणेश दरवाजा और सेमर दरवाजा स्थित है।

■ हजरत मूसे खां का दरगाह - रतनपुर

■ बादल महल - रतनपुर (द्वारा - राजसिंह) 

■ हवा महल - रतनपुर (द्वारा - राजसिंह)

■ श्री कालभैरवबाबा मंदिर - यह रतनपुर नगर के प्रवेश मार्ग पर स्थित है।

■ कंठी देउल का मंदिर 

■ तुलजा भवानी मंदिर - तालागांव - तालागांव मनियारी नदी व बसंती नाले के संगम पर स्थित है। मनियारी नदी के तट पर स्थित ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थल है। अमेरीकापा - तालागांव मनियारी नदी के तट पर स्थित है।

■ रूद्र शिव की अष्टमुखी प्रतिमा - यह प्रतिमा विभिन्न 11 जीवों के अंगों से निर्मित लाल बलुआ पत्थर से बनी है। निर्माणकर्ता - शरभपुरीय शासक।

■ देवरानी जेठानी मंदिर - यह भगवान शिव जी का मंदिर है। छत्तीसगढ़ का सबसे प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण शरभपुरीय शासनकाल के दौरान दो रानियों द्वारा की गई। इसका निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया गया है। यह गुप्तकालीन स्थापत्य कला का प्रतिनिधित्व करता है।

■ मल्हार - यहां उत्खनन के दौरान महापाषाण युगीन सभ्यता से संबंधित साक्ष्य मिले हैं तथा यहां काले एवं लाल रंग के दुर्लभ मृण्पात्र मिले हैं। यह प्राचीन समय में प्रसिद्ध व्यापारिक प्रतिष्ठान माना जाता था। यह शरभपुरीय राजा प्रसन्नमात्र द्वारा बसाया गया लीलागर (निडिला) के तट पर स्थित है। यहां परगहनिया जैन मंदिर स्थित है। मल्हार महोत्सव बिलासपुर जिले के मल्हार में आयोजित होता है। मंदिर - 1. डिडिनेश्वरी माता - ग्रेनाइट से निर्मित है, 2. पातालेश्वर मंदिर, 3. चतुर्भुजी विष्णु।

■ बुढ़ीखार - बुढ़ीखार भगवान विष्णु के चतुर्भुजी मूर्ति सर्व प्राचीन मूर्ति है, जो मौर्यकालीन माना जाता है।

■ लूथरा शरीफ - मुस्लिमों का धर्मस्थली (हजरत बाबा सैयद इंसान अली की दरगाह)

■ कोनी - गुरू घासीदास केन्द्रीय विश्वविद्यालय (छत्तीसगढ़ का एकमात्र केंद्रीय विश्वविद्यालय) स्थित है। छत्तीसगढ़ का प्राचीनतम् आई.टी.आई. (ITI) - 1904 स्थित है।

■ चकरबेड़ा - चकरबेड़ा में सातवाहनकालीन रोम के स्वर्ण सिक्के के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।

■ बोदरी - छत्तीसगढ़ का उच्च न्यायालय बोदरी  स्थित है। इसकी स्थापना नवंबर 2000 में हुआ में हुआ।

 कोटा - श्री सिद्ध बाबा मंदिर, कोटेश्वर मंदिर, कोटसागर, प्रवासी पक्षी विचरण केंद्र, घोंघा जलाशय, दलहा बाबा पहाड़।

■ बेलपान - छोटी नर्मदा का उद्गम स्थल। बेलपान छत्तीसगढ़ के अमरकंटक के नाम से प्रसिद्ध है।

■ खूंटाघाट - खारंग नदी पर रतनपुर के समीप निर्मित है।

■ तिफरा - काली मंदिर

■ बेलगहना - सिद्ध बाबा मंदिर, महाकालेश्वर मंदिर

■ बेलपान - शिव मंदिर, विशालकुंड, सीताकुंड

■ केन्द्र संरक्षित स्मारक - 1. प्राचीनगढ़, मल्हार, 2. पातालेश्वर महादेव मंदिर, मल्हार, 3. कंठी देउल मंदिर, रतनपुर, 4. अजमेरगढ़ किला आमनाला, बिलासपुर, 5. शिव मंदिर बेलपान, बिलासपुर

20. बालोद जिले के पर्यटन स्थल

■ बालोद - चितवा डोंगरी में कपिलेश्वर तालाब, गंगा मैया मंदिर, सियादेवी मंदिर, कपिलेश्वर मंदिर।

■ कुकुरदेऊर मंदिर - यह खपरी ग्राम में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव का मंदिर है। यह एक स्मृति स्मारक है, जिसे एक बंजारा नामक साहूकार ने अपने कुत्ते के मर जाने के कारण उसकी याद में बनवाया था।

■ चितवा डोंगरी - चितवा डोंगरी में प्रागैतिहासिक शैल चित्र है, जो कि ड्रैगन की आकृति की है। नवपाषाण कालीन स्थल शैल चित्र है। शैलचित्र की खोज सर्वप्रथम भगवान सिंह बघेल एवं रमेन्द्रनाथ मिश्र ने की थी।

■ गंगा मईया मंदिर - यह ग्राम झलमला (बालोद) में स्थित है।

■ बहादुर कलारिन के माची - यह ग्राम चिरंचारी में स्थित है। यह एक प्राचीन स्मारक है।

■ कपिलेश्वर मंदिर - यह मंदिर बालोद में स्थित है। 13 वीं -14 वीं शताब्दी में नागवंशी शासकों द्वारा बनाया गया।

■ श्री गौरैया सिद्ध शक्तिपीठ - यह चौरेल में  स्थित है। यहां गौरैया महोत्सव का आयोजन होता है।

■ सियादेई मंदिर

■ नर्मदाधाम

■ कर्मा मंदिर

21. बेमेतरा जिले के पर्यटन स्थल

■ नवागढ़ - प्राचीन खेड़ापति हनुमान मंदिर, शारदा मां, प्राचीन बावली है।

■ बुचीपुर - बुचीपुर में महामाया मंदिर स्थित है।

■ संडी - सिद्धि माता मंदिर स्थित है।

■ धनढनी  - जूनी सरोवर, दुर्गा मंदिर, शिव मंदिर, कृष्ण मंदिर।

■ देवरबीजा - सीता देवी मंदिर एवं सती स्तम्भ

■ देवकर - घुघुसराजा मंदिर

■ केन्द्र संरक्षित स्मारक - 1. सती स्तंभ, देवरबीजा, 2. सीतादेवी मंदिर, देवरबीजा।

22. दुर्ग जिले के पर्यटन स्थल

■ भिलाई - देश की सबसे ऊँची भगवान चंद्रप्रभ की प्रतिमा। भिलाई को ज्ञान की राजधानी कहते हैं। मैत्री गार्डन (1972) - रूस तथा भारत की मित्रता के प्रतीक के रूप में स्थित है। देश का 20वां  IIT नेवई, भिलाई में है।

■ नगपुरा - अन्य नाम पारसनगर है। पार्श्वनाथ को समर्पित (जैन धर्म के 23 वें तीर्थंकर)। श्री महावीर प्राकृतिक एवं योग विज्ञान चिकित्सा महाविद्यालय है।

■ देवबलौदा - प्राचीनतम शिव मंदिर स्थित है।

■ धमधा - प्राचीन किला एवं शिव मंदिर, चतुर्भुजी मंदिर, बूढ़ा तालाब, त्रिमूर्ति महामाया मंदिर स्थित है।

■ पाटन - आग तालाब

■ ठकुराईन टोला - टोला घाट का शिव मंदिर

■ भरदा चंगोरी - बौद्धकालीन भग्न मूर्तियां तथा शिलाखंड, त्रिवेणी संगम।

■ तरीघाट - तरीघाट खारून नदी के तट पर दुर्ग जिला में स्थित है।

■ बानाबरद - यहां गुप्त शासकों के स्वर्ण सिक्के प्राप्त हुए। विष्णु मंदिर स्थित है। पापमोचन एक कुण्ड है जो स्नान से पाप मुक्त के लिए प्रसिद्ध है।

■ केन्द्र संरक्षित स्मारक - 1. शिव मंदिर धमधा, 2. शिव मंदिर देवबलौदा

23. कबीरधाम जिले के पर्यटन स्थल

■ भोरमदेव मंदिर - ग्राम छपरी के निकट चौरागांव

■ मड़वा महल - गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है।

■ छेरकी महल - इस महल के गर्भगृह से बकरी गंध आती है।

■ कवर्धा महल - कवर्धा के राजमहल को कवर्धा महल नाम दिया गया है।

■ पचराही - यह एक पुरातात्विक स्थल है जो फणीनागवंश से संबंधित था।

 आंछी बानो - पातालेश्वर महादेव

 डोंगरिया कला - जालेश्वर महादेव

■ जलप्रपात - रानीदेहरा जलप्रपात, गोदगोदा जलप्रपात।

 पारसनगर बकेला - पार्श्वनाथ जैन मंदिर

■ जलाशय - सरोदा जलाशय, छिरपानी जलाशय, सुतियापाट जलाशय।

 ■ अन्य पर्यटन स्थल - सतखंडा महल, कामटी, बखारी गुफा, रामचुआ जलस्रोत।

24. राजनांदगांव जिले के पर्यटन स्थल

■ राजनांदगांव - छत्तीसगढ़ में प्रथम किसान माल (2010) की स्थापना राजनांदगांव में की गयी है। 27 नवंबर 1888, नागपुर से राजनांदगांव प्रथम रेल संचालन। 1892 में जे. के. मैकवेथ कंपनी द्वारा सी.पी. मिल्स की स्थापना की गई। इस समय नांदगांव रियासत के राजा बलराम दास थे। प्रदेश का प्रथम हॉकी एस्ट्रोटर्फ मैदान राजनांदगांव में स्थित है। पुलिस ट्रेनिंग स्कूल राजनांदगांव में स्थित है। पदुमलाल पुन्नालाल बक्शी जी राजनांदगांव जिले से संबंधित हैं। 1909 में ठाकुर प्यारेलाल सिंह द्वारा सरस्वती पुस्तकालय की स्थापना की गई थी ।

■ डोंगरगढ़ - डोंगरगढ़ का प्राचीन नाम कामावतीपुर था। डोंगरगढ़ में चैत्र एवं क्वांर नवरात्रि में प्रतिवर्ष मेला लगता है। पिलग्रिम एक्टिविटी सेंटर बनना प्रस्तावित है। प्रसाद योजना के अंतर्गत शामिल है।

 बम्लेश्वरी मंदिर (डोंगरगढ़) - बम्लेश्वरी मंदिर का निर्माण राजा वीरसेन द्वारा किया गया था। पूर्वकाल में यह मंदिर महेश्वरी देवी (माता पार्वती) के नाम से चर्चित था।

 प्रज्ञागिरी पहाड़ी (डोंगरगढ़) - यहां पर 30 फीट ऊँची गौतम बुद्ध की प्रतिमा दर्शनीय है। प्रतिवर्ष 6 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन होता है। प्रथम बार बौद्ध सम्मेलन 6 फरवरी 1992 को हुआ था।

 करेला - पहाड़ी पर स्थित मां भवानी का मंदिर है।

 साकरादाहरा - टापू पर स्थित सतबहनियां मंदिर, जलदरहा, सूखा बैराज, मोक्षधाम एवं ओडार बांध है।

बिरखा - शिव मंदिर, घटियारी

मक्कटोला - मां कारीपाठ मंदिर

25. खैरागढ़ - छुईखदान - गंडई जिले के पर्यटन स्थल

■ खैरागढ़ - यह शहर आमनेर, मुस्का एवं पिपरिया नदी के त्रिवेणी संगम पर स्थित है। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय (1956) खैरागढ़ में स्थित है। इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय एशिया का प्रथम संगीत विश्वविद्यालय एवं छत्तीसगढ़ का प्रथम विश्वविद्यालय है। खैरागढ़ रियासत के कवि दलपत राव थे, जिन्होंने सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग किया।

 गंडई - प्राचीन शिव मंदिर

 चोड़राधाम - जय डोंगेश्वर महादेव, मड़िया खोल, पैलीमेटा बांध (सुरही जलाशय), मोटियारी घाट।

■ मंडीपखोल गुफा - यहां स्थित मंदिर में शिवलिंग स्थापित है।

 छुईखदान - बैताल रानी घाटी, मोंगरा बैराज, साल्हेवारा घाटी।

26. मोहला - मानपुर - अम्बागढ़ चौकी जिले के पर्यटन स्थल

अंबागढ़ - अम्बादेवी मंदिर, महिषासुर मार्दिनी मंदिर

 मोंगरा बैराज - मोंगरा बैराज अपने मनोरम दृश्य, प्राकृतिक सौन्दर्य, चारों ओर वनाच्छादित पहाड़ों से घिरे उद्यान के लिए प्रसिद्ध है। जहां दूर-दूर से पर्यटक विभिन्न अवसरों पर पिकनिक आदि के लिए पहुंचते हैं।

27. नारायणपुर जिले के पर्यटन स्थल

■ छोटे डोंगर - छोटे डोंगर में लौह अयस्क पाए जाते हैं। यहां प्राचीन मंदिरों के भग्नावेष हैं।

■ नारायणपुर - नारायणपुर में "स्वामी आत्मानंद" द्वारा स्वामी रामकृष्ण मिशन स्थापित (1985) है। अबूझमाड़िया विकास अभिकरण का मुख्यालय है। प्रतिवर्ष मड़ई मेला लगता है जो विश्व चर्चित है। एशिया का दूसरा सबसे बड़ा काष्ठागार स्थित है जो वर्तमान में बंद है।

■ अबूझमाड़ - यहां पाषणकालीन अवशेष है।

■ जाटलूर नदी - मगरमच्छों का प्राकृतिक आवास स्थित है।

■ खुसरेल घाटी - उच्च किस्म के सागौन वृक्ष एवं खुसरेल जलप्रपात स्थित है।

28. बीजापुर जिले के पर्यटन स्थल

■ भोपालपट्टनम - 1795 में मि. ब्लंट के आगमन के विरोध में भोपालपट्टनम का संघर्ष हुआ था।

बीजापुर - नडापल्ली गुफा एवं आवापल्ली गुफा स्थित है।

■ भैरमगढ़ - अर्धनारीश्वर मूर्ति (भैरमगढ़ मंदिर), प्राचीन किले एवं तालाब।

■ भद्रकाली मंदिर - बसंत पंचमी के दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

29. दंतेवाड़ा जिले के पर्यटन स्थल

■ बारसूर - इसका प्राचीन नाम चक्रकोट या भ्रमरकूट था। यह छिंदकनागवंशियों की प्रारंभिक राजधानी थी। यहाँ काले ग्रेनाइट से निर्मित नंदी बैल पाए जाते हैं। यहां निम्नलिखित मंदिर स्थित है -
1. मामा - भांजा मंदिर (गणेश व नरसिंहनाथ की प्रतिमा)
2. बत्तीसा मंदिर (बत्तीस स्तंभों से निर्मित मंदिर)
3. चंद्रादित्य मंदिर
4. गणेश जी की विशाल मूर्ति
5. प्राचीन चंद्रादित्य समुद्र नामक सरोवर बारसूर में स्थित है।

■ दंतेश्वरी मंदिर - इसका निर्माण 14 वीं सदी में हुआ। निर्माणकर्ता - अन्नमदेव (काकतीयवंशी शासक) थे। यह मंदिर डंकिनी - शंखिनी नदी के संगम पर निर्मित है। ब्रिटिश काल में इस मंदिर में नरबलि प्रथा के लिए माड़िया जनजाति की संस्कृति में हस्तक्षेप हेतु अंग्रेजों के खिलाफ मेरिया विद्रोह (1842-1863) हुआ था। संगम स्थल पर एक विशाल पद चिन्ह है जिसे भैरवबाबा का पद चिन्ह मानते हैं। जिसके दूसरे किनारे पर भैरवबाबा का मंदिर है तथा पास में चूड़ी डोंगरी है। छत्तीसगढ़ी में लिखित प्राचीनतम शिलालेख मंदिर प्रांगण में स्थित है।

■ ढोलकल गणेश - यहां गणेश जी की प्रतिमा स्थित है जो छिंदकनागवंशियों द्वारा बनाया गया।

■ समलूर - यह दंतेवाड़ा के गीदम में स्थित है। यह एक आदिवासी गांव है। यहाँ एक विशाल तालाब है जिसके समीप बलुआ पत्थर निर्मित शिवलिंग है। यह शिव मंदिर शिल्पकला का अद्भुत नमूना है। मूर्ति के मध्य तथा ऊपर भाग को घुमाने से अपने अक्ष पर मूर्ति चारों ओर घूम जाती है। ऐसा कहा जाता है कि बारसुर बाणासूर की राजधानी थी। वे प्रति दिवस स्नान करने समलूर के तालाब में आया करते थे तत्पश्चात् वे शिव मंदिर में जाकर शिव की पूजा किया करते थे।

■ गामावाड़ा - गामावाड़ा नामक ग्राम में पत्थर के बड़े - बड़े स्तंभ निर्मित हैं। इन स्मारक स्तंभों का निर्माण प्राचीन समय में यहाँ के स्थानीय निवासियों द्वारा मृत व्यक्तियों के स्मृति स्वरूप किया गया था।

■ तुलार गुफा

■ बड़े तुमनार का मंदिर

■ केन्द्र संरक्षित स्मारक - 1. बारसूर - चंद्रादित्य मंदिर, गणेश प्रतिमा एवं मामा भांजा का मंदिर। 2. दंतेश्वरी मंदिर में रखी प्राचीन प्रतिमाएं।

30. सुकमा जिले के पर्यटन स्थल

■ कोंटा - यह छत्तीसगढ़ का दक्षिणतम छोर है। शबरी नदी पर कोंटा से लेकर कुनांवरम् (आन्ध्रप्रदेश) तक जल परिवहन की सुविधा है।

■ रामाराम - इसे राम वनगमन पथ के रूप में विकसित किया जा रहा है।

■ सुकमा - छत्तीसगढ़ का प्रथम साइंस पार्क की स्थापना किया गया है। यहां चिटमिटीन माता का मंदिर स्थित है।

■ छिंदगढ़ विकासखंड - छिंदगढ़ विकासखंड गोबर बोहारनी पर्व प्रसिद्ध है।

■ नेतनार - शबरी नदी के किनारे शिव मंदिर स्थित है।

31. कोण्डागांव जिले के पर्यटन स्थल

■ केशकाल घाटी - केशकाल छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जल विभाजक पर्वत है। जिसके कारण महानदी का उद्गम दक्षिण में होने के बावजूद उसका प्रवाह उत्तर की ओर होता है। केशकाल का नामकरण केशलू नामक बहादुर व्यक्ति के याद में इसका नामकरण किया गया है जो शेर से लड़ते - लड़ते मारा गया था। केशकाल घाटी में कुल 12 मोड़ है। केशकाल घाटी को बस्तर के प्रवेश द्वार के नाम से जाना जाता है। इस घाटी पर तेलिन माता मंदिर स्थित है (तेलिन घाटी)। केशकाल घाटी महानदी व गोदावरी अपवाह तंत्र का जल विभाजक है। इसे फूलों के घाटी की नाम से भी जानी जाती है। केशकाल घाट बस्तर के पठार एवं महानदी बेसिन को अलग करता है।

■ गढ़धनौरा -  लौहयुगीन पाषाण स्तंभ के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं। प्राचीन टीले (ईटों के) धनौरा ग्राम के पास किला स्थित होने के कारण इसे गढ़धनौरा कहते हैं। इसी के पास एक नाला है जिसके किनारे - किनारे वराहराज ने शिव व विष्णु के 22 मंदिरों का निर्माण करवाया था।

■ कोंडागांव - कोंडागांव को "शिल्पग्राम" की संज्ञा दी गई है। शिल्पग्राम एवं घड़वा शिल्प कला के लिए प्रसिद्ध है। धातु शिल्प / घड़वा कला के कलाकार - जयदेव बघेल की जन्मस्थली है। कोंडागांव नारंगी नदी के तट पर स्थित है। सर्वाधिक लिंगानुपात (2011 की जनगणना अनुसार 27 जिलों में)। सहकारी मक्का प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना की गई है।

 जटायुशिला - स्थान- बोरगांव के पास यह रामायणकालीन स्थल है। जनश्रुति अनुसार भगवान राम और जटायु की मुलाकात यहीं हुई थी।

 अड़ेगा - नलवंशीय शासक वराहराज के स्वर्ण सिक्के प्राप्त हुये हैं।

 माझीनगढ़ - देवी मंदिर स्थित है।

 भोंगापाल - यह कोण्डागांव जिला में स्थित बौद्ध धर्म से संबंधित स्थल है।

 कोपाबेड़ा - शिव मंदिर है। नारियल विकास बोर्ड (स्थापना 1987)

 आलोर - लिंगवेश्वरी देवी मंदिर।

32. कांकेर जिले के पर्यटन स्थल

■ गढ़िया पहाड़ - यह कांकेर जिले में स्थित है। 1800 ई. के पूर्व कांकेर रियासत के राजा धर्म देव ने राजधानी गढ़िया पहाड़ के ऊपर समतल मैदान पर स्थापित की थी किंतु कुछ समय के बाद पहाड़ी के नीचे कांकेर में राजधानी स्थानांतरित की गई। पर्वत के ऊपर एक तालाब है जो कभी भी नहीं सकता इसका एक भाग सोनई दूसरा भाग रूपई कहलाता है जो राजा के दोनों पुत्रियों के नाम पर रखा गया है। यहां एक गुफा स्थित है जिसे जुड़ी पगार कहते हैं जो आक्रमण के समय छिपने के लिए बनाया गया था।

■ कांकेर - सिंहवासिनी, गढ़िया पहाड़, राजमहल, कंकालीन देवी

भानुप्रतापुर - प्राचीन किला, गढ़देवी, किला पहाड़ जलाशय, शिव मंदिर।

खंण्डीघाट - सिद्धेश्वर महादेव मंदिर, माया मोहनी, जोगी गुफा, अष्टभुजी भवानी मंदिर, खंडेश्वर महादेव।

■ पखांजूर - खेरकेट्टा जलाशय

■ पुरातातक - पुरातात्विक के साक्ष्य है।

■ मूढ़पार - प्राचीन दुर्लभ प्रतिमाएं

 गाड़ागौरी गढ़शीतला - जोगी गुफा, गढ़माडिया देव, गढ़हिंगलाज, पांचफुलवृक्ष।

 नथिया नवागांव - प्राकृतिक पर्यटन स्थल

■ गढ़बासला - किलागढ़ देवी का मंदिर

■ रामायणकालीन स्थल - पंचवटी

33. बस्तर जिले के पर्यटन स्थल

■ जगदलपुर - यह बस्तर जिले का जिला मुख्यालय है। यह इंद्रावती नदी के तट पर बसा है। जगदलपुर का प्राचीन नाम जगदुगुड़ा था। राजा ने राजधानी के लिए जगदु माहरा से जमीन खरीदी और अपनी राजधानी बनाई, बाद में इसे रूद्रदेव द्वारा सुव्यवस्थित ढंग से बसाया। जगदलपुर राजमहल परिसर में दंतेश्वरी मंदिर स्थापित है। एशिया का सबसे बड़ा इमली मण्डी जगदलपुर में है। छत्तीसगढ़ का एकमात्र वनपाल प्रशिक्षण विद्यालय स्थित है। हस्तशिल्प कॉम्प्लेक्स की स्थापना की जा रही है। जगदलपुर में काजू शोध केन्द्र स्थित है। दूसरा सबसे बड़ा वनवृत्त, जगदलपुर है। जगदलपुर में शहीद पार्क, मृगनयनी एम्पोरियम, अभिनंदन पार्क, लामली पार्क स्थित है।

■ एन्थ्रोपोलॉजिकल म्यूजियम (जगदलपुर) - मानवशास्त्रीय अजायबघर है जो 1972 में स्थापित हुआ। भारत सरकार के 'एन्थ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया' द्वारा संचालित है। यहां जनजातियों के संस्कृति एवं उनकी जीवनशैली की विभिन्न आदर्श रूप साक्ष्य रखे हैं।

■ जिला पुरातत्व संग्रहालय (जगदलपुर) - 1988 में स्थापित किया गया है।

■ दलपत सागर (जगदलपुर) - यह विशाल तालाब है जो छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा झील है। इसका विस्तार 385 एकड़ में है। यहां माड़िया दम्पत्ति और उनके बच्चों की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है।

■ आदिवासी संग्रहालय - ओडिशा के तर्ज पर प्रस्तावित है।

■ गुफाएँ - 1. कुटुमसर की गुफा, 2. कैलाश गुफा, 3. कांगेर करपन गुफा, 4. दंडक गुफा, 5. देवगिरी गुफा, 6. शीत गुफा, 7. अरण्यक गुफा

■ कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान - इसकी स्थापना वर्ष 1982 में हुई। इसका क्षेत्रफल 200 वर्ग किमी है। इसका विस्तार तीरथगढ़ जलप्रपात से ओड़शा सीमा रेखा तक है। छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना का संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है। एशिया का सर्वप्रथम बायोस्फीयर रिजर्व घोषित किया गया था जो वर्तमान में अस्तित्व में नहीं है। भैंसादरहा नामक स्थान पर प्राकृतिक रूप से मगरमच्छों का संरक्षण एवं संवर्धन किया जा रहा है।

 चित्रकोट जलप्रपात - चित्रकोट जलप्रपात इंद्रावती नदी पर स्थित है। इसे भारत का नियाग्रा कहा जाता है। चित्रकोट जलप्रपात छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जलप्रपात है। मौसम के अनुसार पानी का रंग बदलते रहता है।

 तीरथगढ़ जलप्रपात - यह कई खण्डों में गिरती है। मुनगाबहार नदी पर कांगेर घाटी क्षेत्र स्थित है।

 तामड़ा घूमर जलप्रपात

 चित्रधारा जलप्रपात

 महादेव जलप्रपात

 मड़वा जलप्रपात

 दरभाघाटी

 विनताघाटी - तामड़ा घूमर जलप्रपात स्थित है। विनताघाटी को बस्तर का कश्मीर कहा जाता है। विनताघाटी दंडकारण्य का सबसे सुंदर घाटी है।

 कांगेर घाटी - कांगेर नदी के दोनो तरफ निर्मित है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र में स्थित है। कुटुमसर की गुफा कांगेर घाटी में स्थित है।

■ गुढ़ियारी, केशरपाल, शिव मंदिर - मंदिर में भगवान शिव का (प्रतिमा - उमा - महेश्वर व गणेश) स्थित है।

■ मुचकी हुंगा का मृतक स्तंभ, डिलमिली - आदिवासी नायक "मुचकी हुंगा माड़िया" का मृतक स्तंभ स्थित है। दंतेवाड़ा मार्ग पर डिलमिली के निकट स्थित है। यह काष्ठ से निर्मित स्तंभ मूलतः एक जयस्तंभ है, जिसमें विभिन्न आदिवासी नायकों की जीवनी प्रतीकों के माध्यम से उकेरी गयी है।

■ नारायणपाल - विष्णु मंदिर एवं भद्रकाली मंदिर स्थित है।

■ बुरूंगपाल मंदिर - देश का एकमात्र संविधान मंदिर है। इसकी स्थापना 1992 में हुई। यहां पर संविधान की पांचवीं अनुसूची की प्रावधान लिखे गये हैं।

■ ढोडरेपाल - जीर्ण अवस्था में विश्वकर्मा का मंदिर है।

■ देवगिरी गुफा

■ शिवमंदिर गुमड़पाल

■ शिवमंदिर सिंघईगुड़ी

■ चिंगीतराई का शिवमंदिर

■ देवरली मंदिर ढोडरेपाल

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