बालोद जिला | बालोद जिले का इतिहास एवं सामान्य परिचय | Balod District

बालोद शहर तांदुला नदी के तट पर बसा है, जो आधिकारिक रूप से 1 जनवरी 2012 से जिला मुख्यालय का दर्जा प्राप्त कर चुका है। बालोद शहर की धमतरी से 44 किमी तथा दुर्ग से दूरी 58 किमी है। बालोद जिले का जिला मुख्यालय बालोद है जो कि तांदुला (आदमाबाद) डैम के समीप है, जो सूखा एवं तांदुला नदी पर 1912 में विकसित किया गया था।

Balod District

बालोद जिले का सामान्य परिचय


1 जनवरी 2012
जिला मुख्यालय
बालोद
मातृ जिला
सीमावर्ती जिले (5)
1. गुंडरदेही, 2. बालोद, 3. डौंडी, 4. डौंडी-लोहारा, 5. गुरुर, 6. अर्जुन्दा, 7. मार्री बंगला देवरी
विकासखण्ड (5)
1. गुंडरदेही, 2. संजारी बालोद, 3. डौंडी, 4. डौंडी-लोहारा, 5. गुरूर
1. बालोद, 2. दल्लीराजहरा
विधानसभा क्षेत्र (3)
1. बालोद, 2. डौंडी-लोहारा, 3. गुंडरदेही
राष्ट्रीय राजमार्ग
NH 930 (गुरुर-बालोद-मानपुर)
पिनकोड
491226 (बालोद)
आधिकारिक वेबसाइट

• भू - गर्भिक शैलक्रम -

धारवाड़ क्रम

• मुख्य खनिज -

1. लौह अयस्क

• लौह अयस्क भंडारण क्षेत्र -

• दल्लीराजहरा
• यहां पर हेमेटाइट प्रकार का लौह अयस्क पाया जाता है।

• उद्योग -

1. 3. दंतेश्वरी मैय्या सहकारी शक्कर कारखाना मर्यादित।
स्थापना - 2009
स्थान - करकाभाठा (बालोद)
विशेष -
उत्पादन 2009-10 से
3 मेगावॉट बिजली उत्पादन (सह उत्पाद से)

• नदी -

1. खारुन नदी
2. तांदुला नदी
3. खरखरा नदी
4. कोटरी नदी

• मुख्य परियोजना -

1. तांदुला परियोजना - 1913
2. गोंदली परियोजना (जुआरी नदी)
3. खरखरा परियोजना (खरखरा नदी)
4. खरखरा - मोहंदीपाट परियोजना (खरखरा नदी)

बालोद जिले का इतिहास

• बालोद नए जिलों में से एक था जो 2012 में बना और छत्तीसगढ़ का 27 वां जिला बना।

• बालोद जिला 1 जनवरी 2012 को अस्तित्व में आया।

• 1 जनवरी 2012 को इसे सिविल डिस्ट्रिक्ट के रूप में अधिसूचित किया गया था, हालांकि राजस्व जिले को 10 जनवरी 2012 से घोषित किया गया था।

• बालोद जिला बनने से पहले, यह दुर्ग जिले का हिस्सा था।

बालोद जिले में पर्यटन स्थल

कुकुरदेऊर मंदिर

• स्थान - खपरी
• यह मंदिर भगवान शिव का मंदिर है।
• यह एक स्मृति स्मारक है, जिसे एक बंजारा नामक साहूकार ने अपने कुत्ते के मर जाने के कारण उसकी याद में बनवाया था।

चितवा डोंगरी

चितवा डोंगरी में प्रागैतिहासिक शैल चित्र है, जो कि ड्रैगन की आकृति की है। नवपाषाण कालीन स्थल शैल चित्र है। शैलचित्र की खोज सर्वप्रथम भगवान सिंह बघेल एवं रमेन्द्रनाथ मिश्र ने की थी।

गंगा मईया मंदिर

• स्थान - ग्राम झलमला (बालोद)

बहादुर कलारीन के माची

• स्थान - चिरंचारी
• विशेष - यह एक प्राचीन स्मारक है।

कपिलेश्वर मंदिर

• स्थान - बालोद
• विशेष - 13 वीं -14 वीं शताब्दी में नागवंशी शासकों द्वारा बनाया गया।

श्री गौरैया सिद्ध शक्तिपीठ

• स्थान - चौरेल
• विशेष - गौरैया महोत्सव (चौरेल, बालोद)

अन्य पर्यटन स्थल

1. सियादेई मंदिर
2. नर्मदाधाम
3. कर्मा मंदिर

बालोद जिले में विशेष

• पवनचक्की से पवन ऊर्जा का सर्वप्रथम उत्पादन। (बालोद के शासकीय महाविद्यालय में)

• लौह युगीन पाषाण स्तंभ के साक्ष्य - सोरर, करहीभदर, चिरचारी, करकाभाठा में प्राप्त हुए हैं।

• महापाषाणीय स्मारक - करहीभदर, धनोरा, कुलिया, मुजगहन, करकाभाठा।

किसान आंदोलन

• वर्ष - 1937 - 39 में
• स्थान - डौंडीलोहारा (बालोद)
• नेतृत्वकर्ता - नरसिंह प्रसाद अग्रवाल, सरयू प्रसाद अग्रवाल (छोटे भाई), पं . रत्नाकर झा सहयोगी वली मोहम्मद
• नोट - 1946 में डौंडीलोहारा जमींदारी में जमींदार के अत्याचार के खिलाफ आंदोलन चला था।

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