बलौदाबाजार-भाटापारा जिले की स्थापना 01 जनवरी 2012 को हुआ। यह मूल रुप से रायपुर
जिला से विभाजित होकर बना है। रायपुर संभाग में स्थित बलौदाबाजार जिले की सीमा
बेमेतरा, मुंगेली, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, रायगढ़, महासमुंद, व रायपुर जिले को
स्पर्श करती है। बलौदाबाजार का नामकरण के संबंध में प्रचलित किवदंती अनुसार पूर्व
में यहां गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, उड़ीसा, बरार आदि प्रांतों के व्यापारी
बैल, भैंसा (बोदा) का क्रय विक्रय करने नगर के भैंसा पसरा में एकत्र होते थे।
जिसके फल स्वरूप इसका नाम बैलबोदा बाजार तथा कालांतर में बलौदा बाजार के रूप में
प्रचलित हुआ।
बलौदाबाजार-भाटापारा जिले का सामान्य परिचय
01 जनवरी 2012
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जिला मुख्यालय
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बलौदाबाजार
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मातृ जिला
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सीमावर्ती जिले (7)
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तहसील (9)
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1. बलौदाबाजार, 2. भाटापारा, 3. कसडोल, 4. पलारी, 5. सिमगा, 6. लवन7. सुहेला, 8. टुंड्रा, 9. सोनाखान |
विकासखण्ड (5)
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1. सिमगा, 2. भाटापारा, 3. बलौदाबाजार, 4. कसडोल, 5. पलारी
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नगर पालिका परिषद (2)
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1. भाटापारा, 2. बलौदाबाजार
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विधानसभा क्षेत्र (3)
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1. भाटापारा, 2. बलौदाबाजार, 3. कसडोल
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राष्ट्रीय राजमार्ग
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NH 130 B (रायपुर-बलौदाबाजार)
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पिनकोड
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493332 (बलौदाबाजार)
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आधिकारिक वेबसाइट
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• भू-गर्भीक शैलक्रम -
कड़प्पा शैलक्रम
• औद्योगिक क्षेत्र -
1. औरेठी
• सीमेंट संयंत्र -
• बलौदाबाजार जिले को सीमेंट संयंत्र का हब कहा जाता है।
1. लॉफार्ज सीमेंट - सोनाडीह
2. अंबुजा सीमेंट - रवान
3. ग्रासिम सीमेंट - रावन
4. अल्ट्राटेक सीमेंट - हिरमी
• प्रमुख खनिज -
1. चूना पत्थर -
बलौदाबाजार जिले में सर्वाधिक चूना पत्थर की खदान है। सर्वाधिक मात्रा में चूना
पत्थर का उत्पादन बलौदाबाजार जिले में होता है।
• अभ्यारण्य -
1. बारनवापारा अभ्यारण्य
■ जिला - बलौदाबाजार
■ स्थापना - 1976
■ क्षेत्रफल - 245 वर्ग किमी
■ क्षेत्रफल - 245 वर्ग किमी
■ नामकरण - बार - नवापारा नामक वन्यग्राम के आधार पर
■ वन्यजीव - यहां रहने वाले जीव में धामन नाग अजगर करैत आदि सर्प प्रमुख है। वन्य जीवन में तेंदुआ, लकड़बग्घा, जंगली सूअर, बारहसिंगा, सांभर, चीतल, बंदर आदि।
■ विशेषताएँ -
• शाकाहारी जानवर पाए जाते हैं। साथ ही सर्वाधिक सर्प पाये जाते हैं।
• बारनवापारा अभ्यारण्य के बीचों बीच बलमदेई नदी गुजरती है। जिसमें देवधारा जलप्रपात स्थित है।
• तुरतुरिया आश्रम (बलौदाबाजार) स्थित है। (वाल्मिकी आश्रम में लवकुश का जन्म हुआ था)।
• शाकाहारी जानवर पाए जाते हैं। साथ ही सर्वाधिक सर्प पाये जाते हैं।
• बारनवापारा अभ्यारण्य के बीचों बीच बलमदेई नदी गुजरती है। जिसमें देवधारा जलप्रपात स्थित है।
• तुरतुरिया आश्रम (बलौदाबाजार) स्थित है। (वाल्मिकी आश्रम में लवकुश का जन्म हुआ था)।
• बारनवापारा वन्यग्राम महासमुंद में है किन्तु इस अभ्यारण्य का अधिकतम भाग बलौदाबाजार जिले में है।
• आश्रम
1. तुरतुरिया आश्रम - लव कुश का जन्म स्थल
2. वाल्मीकि आश्रम - वाल्मीकि से संबंधित आश्रम
• मेले
1. कबीर पंथी मेला, दामखेड़ा (माघी पूर्णिमा)
2. गिरौदपुरी का मेला ( फाल्गुन पंचमी)
बलौदाबाजार-भाटापारा जिले का इतिहास
अंग्रेजी हुकुमत के दौरान 1854 से 1864 तक बलौदा बाजार व तरेंगा (भाटापारा)
रायपुर जिले का अंग थे । पश्चात 1864 में इन इलाकों को बिलासपुर जिले में शामिल
कर लिया गया। प्रशासनिक दृष्टिकोण से उत्पन्न हो रही दिक्कतों के पश्चात
दूरदर्शिता पूर्वक अंग्रेज अधिकारियों के द्वारा 1903 में सिमगा स्थित तहसील
मुख्यालय को बलौदा बाजार में स्थानांतरित कर इसे जिला का दर्जा दिया गया। उस
वक्त से ही विकासखंड सिमगा, भाटापारा, बलौदा बाजार, पलारी, कसडोल व बिलाईगढ़
इसके अतर्गत शामिल थे। जिन्हें 1982 में पृथक तहसील का दर्जा दिया गया।
प्रशासनिक दृष्टिकोण से अंग्रेजों द्वारा बलौदा बाजार से 2 किमी दूर स्थित
ग्राम परसाभदेर (मिशन) में विश्राम गृह, चर्च, अस्पताल व निवास निर्मित कराया
गया। 1920 में सेनीटेशन एक्ट लागू कर बलौदा बाजार में पंचायत का गठन किया गया।
स्वतंत्रता पश्चात 1949 में स्थानीय शासन अधिनियम के तहत बलौदा बाजार को ग्राम
पंचायत बनाया गया। 1955 में ग्राम पंचायत हेतु आम चुनाव कराये गये जिनमें से 11
कांग्रेस के तथा 4 प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के सदस्य चुनकर आये। क्षेत्रीय
व्यवस्था संचालन हेतु गठित लोकल बोर्ड स्वतंत्रता पश्चात 1947 में जनपद सभा के
रूप में परिवर्तित हो गया। 1952 मे भाटापारा-सीतापुर द्विसदस्यीय विधानसभा में
बाजीराव बिहारी व चक्रपाणी शुक्ल, 1957 में बलौदा बाजार द्विसदस्यीय विधानसभा
में नैनदास तथा बृजलाल वर्मा विजयी हुए। पश्चात 1962 में मनोहर दास, 1963 के
उपचुनाव व 1967 के चुनाव में बृजलाल वर्मा, 1972 में दौलत राम वर्मा, 1977 में
वंशराज तिवारी, 1980 में गणेश शंकर वाजपेयी, 1985 में नरेन्द्र मिश्रा, 1990
में सत्यनारायण केशरवानी, 1993 में करूणा शुक्ला, 1998 व 2003 में गणेश शंकर
वाजपेयी तथा 2008 में श्रीमती लक्ष्मी बघेल विधायक पद पर सुशोभित हुईं। 1952 के
प्रथम आम चुनाव में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग को शामिल कर द्विसदस्यीय लोकसभा
सीट से भूपेन्द्रनाथ मिश्र व आगमदास विजयी हुए। पश्चात 1957 में द्विसदस्यीय
बलौदा बाजार लोकसभा सीट पर विद्याचरण शुक्ल व मिनीमाता को निर्वाचित घोषित किया
गया। पश्चात रायपुर लोकसभा अंतर्गत शामिल कर लिया गया। 1973 में बलौदा बाजार को
नगर पालिका का दर्जा दिया गया।
बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में पर्यटन स्थल
■ गिरौदपुरी - गिरौदपुरी संत गुरू घासीदास जी की जन्मस्थली। गिरौदपुरी में स्थित जैतखाम की ऊँचाई 77 मीटर है जिसकी तुलना कुतुबमीनार से की जाती है।
■ छाता पहाड़ - यह बलौदाबाजार जिले में स्थित है।
■ तेलासीबाड़ा - यह सतनाम पंथ से संबंधित स्थल है जो पलारी तहसील के अंतर्गत आता है।
■ दामाखेड़ा - समाधि मंदिर स्थित है। यह कबीर पंथियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। प्रदेश में सर्वप्रथम कबीर पंथियों के 12 वें वंशगुरू उग्रनाम साहब के द्वारा यहां पर कबीर मठ की स्थापना वर्ष 1903 में की गई। इस आश्रम के प्रशासक को महंत कहते हैं, यहां नियमित प्रार्थना, चौका आरती होता है।
■ पलारी - सिद्धेश्वर मंदिर स्थित है (प्राचीनतम शिव मंदिरों में से एक) जिसका निर्माण 8-9वीं शताब्दी में हुई है यह महानदी के तट पर स्थित है।
■ डमरू - यह शिवनाथ नदी के तट पर स्थित दुर्ग मुक्त एक ग्राम है।
■ सोमनाथ - शिवनाथ तथा खारून नदियों का संगम सोमनाथ पर है। यहाँ भगवान शिवजी का सोमनाथ मंदिर स्थित है।
■ तुरतुरिया - तुरतुरिया वाल्मिकी ऋषि से संबंधित है। लव कुश का जन्म स्थल है।
■ सिंगारपुर - मावलीमाता मंदिर, राधा - कृष्ण मंदिर, परमेश्वरी देवी मंदिर, विश्वकर्मा मंदिर।
■ धोबनी - चितावरी देवी मंदिर
■ सोनाखान - छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह का कर्म भूमि क्षेत्र। 1857 समय वीरनारायण सिंह के द्वारा विद्रोह किया गया था।
केन्द्र संरक्षित स्मारक
1. महादेव मंदिर, नारायणपुर
2. आदित्य को समर्पित मंदिर, नारायणपुर
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