छत्तीसगढ़ में लोक - चित्रकला | Chhattisgarh me Chitrakala | Folk Painting in Chhattisgarh

छत्तीसगढ़ राज्य में विशेष अवसर पर भिन्न-भिन्न प्रकार के चित्र बनाए जाते हैं। जैसे - चौक पूरना, गोबर चित्रकारी, आठे कन्हैया, गोदना आदि। छत्तीसगढ़ राज्य में निम्नलिखित लोक - चित्रकला प्रचलित है -


■ सवनाही - इस चित्रकला में महिलाओं के द्वारा घर की मुख्य द्वार की दीवारों पर गोबर से विभिन्न प्रकार के चित्रों का चित्रांकन किया जाता है जो श्रावण मास के हरेली के अवसर पर की जाती है।

■ हरतालिका - यह तीजा पर्व के अवसर पर शिव - पार्वती की पूजा के अवसर पर बनाया जाता है।

■ बालपुर चित्रकला - इस चित्रकला में चितेर जनजाति द्वारा पौराणिक चित्र बनाया जाता है।

■ गोबर चित्रकारी - यह चित्रकारी घर की महिलाओं द्वारा अन्न धन भण्डार की समृद्धि हेतु दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर सामान्यतः धान की कोठी पर अन्न धन के भंडार की समृद्धि हेतु अनेक प्रकार के चित्र बनाई जाती है।

■ चौक पुरना - यह सामान्यतः चावल के आटे से विभिन्न प्रकार के बेल - बूटे एवं पदचिन्हों के चित्र बनाये जाते हैं। यह चित्र प्रायः विभिन्न आनुष्ठानिक कार्यक्रमों के अवसर पर घर के परछी (बरामदा) से लेकर गली तक बनाई जाती है। वर्तमान समय में चौक पुरने के स्थान पर रंगोली की प्राथमिकता बढ़ती जा रही है।

■ आठे कन्हैया - यह पर्व जन्माष्टमी के अवसर पर मनाई जाती है। इस दौरान घर के दीवार पर 8 पुतलिका बनाकर उनकी पूजा - अर्चना की जाती है।

■ नोहडोरा (उद्रेखण कला) - यह चित्रकला सामान्यतः नये घर में प्रवेश के पूर्व दीवारों में मिट्टी के विभिन्न प्रकार के कलात्मक कृति करते हैं जिसमें वे विभिन्न जीव - जन्तु, बेल - बूटे आदि का चित्रांकन करते हैं जो कई वर्षों तक दीवारों पर बने रहते हैं जिसे छत्तीसगढ़ी में 'नोहडोरा डालना' कहते हैं।

पिथौरा चित्रकला - यह चित्रकला भील जनजातियों के द्वारा बनाया जाता है। इस चित्रकला का उद्गम मध्यप्रदेश के पिथौरा क्षेत्र से हुआ है। यह चित्रकारी प्रायः घर की दीवारों, कागजों, कपड़ों आदि पर की जाती है।

 नारदशिल्प - इसमें चित्रांकन में चिड़ियों, सांपों, हाथियों और घोड़ों आदि के चित्र बनाए जाने का वर्णन है।

 चित्र - त्यौहारों और विवाह के अवसरों पर दीवारों पर अनेक प्रकार के चित्र बनाए जाते हैं। मिट्टी के बर्तनों पर भी यह कला देखने योग्य होती है, जो छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के घरों में देखी जा सकती है।

■ गोदना - छत्तीसगढ़ी महिलाओं में गोदना प्रिय है। बांह, हाथ, पैर, ठोढ़ी आदि पर गोदना गोदवाते हैं।
• सर्वाधिक गोदना प्रिय जनजाति बैगा है तथा सर्वाधिक गोदना गोदवाने वाले जनजाति कमार है।
• छत्तीसगढ़ में गोदना गोदने का कार्य सामान्यतः ओझा, कुंजर, बंजारा समुदाय के लोगों द्वारा की जाती है।

छत्तीसगढ़ के चित्रकार

1. गणेश राम मिश्र - छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध चित्रकार थे। वे रायपुर में रह कर चित्रांकन की साधना करते थे। उनके चित्र माधुरी तथा शारदा जैसी पत्रिकाओं में छपते रहे हैं। इनकी कला में आचार्य बसु की कला का सुन्दर प्रतिबिंब मिलता है।

2. लक्ष्मीनारायण पचौरी- आचार्य नंदलाल बसु की शैली पर चित्रांकन करने वाले लोगों में धमतरी के लक्ष्मीनारायण पचौरी प्रमुख थे। लक्ष्मीनारायण पचौरी 1966 ई. में शांति निकेतन से चित्रकला की शिक्षा प्राप्त कर अपने निवास स्थान धमतरी आए थे।

3. अन्य चित्रकार - 1. कल्याण प्रसाद शर्मा, 2. ए.के. मुखर्जी, 3. निरंजन महावर, 4. ए.के. दानी।

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