छत्तीसगढ़ी विलोम शब्द | छत्तीसगढ़ी व्याकरण | Chhattisgarhi Antonyms Chhattisgarhi Grammar

अर्थ अऊ परिभासा जेकर ले कोनो सब्द के अर्थ के गियान उलटा होथे, नइते कोनो सब्द के बिपरीत अर्थ निकलथे तेन ला "बिलोम सब्द" कहे जाथे। येला कई ठन अउ आने आने नाम ले घलो जाने जाथे बिपरीत सब्द, बिरूद्धार्थी सब्द, बिलोम शब्द आदि। हिंदी भाषा मा एला विलोम शब्द, विपरीतार्थक या विरूद्धार्थी शब्द कहे जाथे। जइसे उदाहरन - रथिया के बिपरित दिन, कुकुर के बिपरीत कुतिया, आगी के  बिपरीत आदि। अइसन सब्द मन ले गुन, सुभाव, अकार, अउ स्थिति मन के गियान होथे अऊ एमा एक बात अउ है कि कम ले कम सब्द मा जादा भाव घलो बियक्त करे जा सकथे।

CG Antonyms

छत्तीसगढ़ी विलोम शब्द के प्रकार - 

बिलोम यानि बिपरीत सब्द के बहुतकन परकार होथे जेन मा कुछ परमुख बिलोम सब्द के परकार अइसन ढंग ले हवय 

1. पूर्व निस्चित (रूढ़) बिलोम सब्द 
2. बनावल बिलोम सब्द


1. पूर्व ले निस्चित बिलोम सब्द 


अइसन विपरीत अर्थवाले सब्द मन अनुलोम सब्द मन ले एकदम अलग होथे। एमा कोनो किसम के समानता नइ होय, एकर दू परकार होथे -

A. सुतंत बिलोम सब्द (स्वतंत्र) 
B. लिंग के अधार मा बिलोम सब्द 

A. सुतंत बिलोम / स्वतंत्र  विलोम शब्द - एमा कोनो भी शब्द ला सुतंत रूप ले परयोग करे जाथे।

शब्द
 विलोम शब्द 
एती (इधर)
ओती (उधर)
एकोती (यहां)
ओकोती (वहां)
अब्बड (बहुत)
थोकन (कम)
अपन (अपना) 
विरान (पराया)
अंधियारी (अंधकार)
उजियारी, अंजोरी (प्रकाश)
अमरित (अमृत)
महुरा (जहर)
अच्छई (अच्छाई)
बुरई (बुराई)
अतरना (उतरना)
चघना (चढ़ना)
अम्मट (खट्टा)
मीठ (मीठा)
उगती (पूर्व)
बुड़ती (पश्चिम)
उज्जर (स्वच्छ)
मइलहर (गंदा)
उठना (उठना)
बइठना (बैठना)
उतलंगहा (शरारती)
मिटकहा (शांत रहनेवाला)
उबरना (शेष बचना)
खंगना (कम पड़ना)
उत्ताधुर्रा (जल्दी)
धिरलगहा (धीरे)
ओग्गर (गोरा)
साँवर (साँवला) 
उतारू (ढाल)
चघऊ (चढ़ाऊ)
केंवची (नरम)
कड़ा (ठोस)
करिया (काला)
गोरिया (गोरा)
करू (कड़वा)
मिट्टी (मीठा)
कंगला (गरीब)
पोटहा (अमीर)
कमी (कम)
भक्कम (अधिक)
कोंदा (गुंगा)
चटरहा (बातुनी)
खुहार (बर्बाद)
अबाद (आबाद)
खोधरा (गड्ढ़ा)
डिपरा (टीला)
चिक्कन (चिकना)
खरदरहा (खुरदरा)
छाँय (छाया)
घाम (धूप)
जोड़ना (जोड़ना)
कांटना (काटना)
ठेमना (बौना)
लमगोड़वा (लंबा)
नवा (नया)
जुन्ना (पुराना)
टेंडगा (टेंढ़ा)
सोझ (सीधा)
झुक्खा (सुखा)
गिल्ला (गीला)
भोभला (दंतहीन)
दतला (लंबे दाँतोवाला)
झोलंगा (ढिला)
टांठ (कड़ा)
नुनछुर (नमकीन)
सिट्ठा (बिना नमक के)
भुइयां (धरती)
अगास (आकाश)
रातकन (रात में)
दिनमान (दिन में)
सनमान (सम्मान)
हिनमान (अपमान)
सूम (कृपण)
दानी (दान देनेवाला)
नरक (नर्क)
सरग (स्वर्ग)
निमारना (छांटना)
मिझारना (मिलाना)
पक्का, पाका (पका हुआ)
कईच्चा (कच्चा)
मयांरू (प्यारा)
बइरी (दुश्मन)
पातर (पतला)
मोट्ठा (मोटा)
लक्ठा (निकट)
दुरिहा (दूर)
संझा (संध्या)
बिहिनियाँ (प्रात:)
सुतई (सोना)
जगई (जगना)
लबारी (झुठ)
सत (सही)
हांत (हाथ)
गोड़ (पैर)


B. लिंग के अधार मा - कुछ पूर्व निस्चित या रूढ़ सब्द लिंग के अधार मा घलो विपरीत अर्थ वाले होथे। छत्तीसगढ़़ी केवल संगिया मा होथे। भले अइसन बिपरीत अर्थवाले सब्द मन के संखिया बहुत कम हे फेर जन मानस मा परचलित, बेवहारिक अउ बड़ महत्तम के हे, जइसे उदहारन -

शब्द
 विलोम शब्द 
ममा (मामा)
मामी (मामी)
कका (चाचा)
काकी (चाची)
बनबिलवा (बिल्ला)
बिलई (बिल्ली)
बइला (बैल)
गइया (गाय)
कुकुर (कुत्ता)
कुतन्निन (कुतिया)
दमाद (दमाद)
बेटी (पुत्री)
बबा (दादा)
दाई (दादी)
मेहेरिया (पत्नी)
भतार (पति)
भाई (भाई)
बहिनी (बहन)
बाबू (बेटा)
नोनी (बेटी)
मरद (पुरुष)
तिरिया (स्त्री) 
बाप (पिता)
महतारी (मां)
टूरा (लड़का)
टूरी (लड़की)
चंदा (चाँद)
सुरूज (सूरज)
डोकरा (बूढ़ा)
डोकरी (बूढ़ी)

2. बनावल बिलोम सब्द 


हिंदी जइसे छत्तीसगढ़ी मा घलो बिपरित अर्थवाले बनावल सब्द के संखिया अब्बड़ हावे, इखर रचना बिधि मा घलो अंतर मिलथे। इही अंतर के सेती एकर विभाजन अइसन ढंग ल करे जा सकथे।

1. स्तिरी लिंग वाचक परत्यय लगाके छत्तीसगढ़ी मा स्तिरीलिंग बाचक बिपरीत अर्थवाले सब्द बनाय खातिर 'ई, इन, अउ, निन' आदि परत्यय के उपयोग करे जाथे। ये परत्यय के उपयोग ले संगिया अउ बिसेसन दुनो किसम के स्तिरी लिंग अर्थ वाले सब्द मन बनथे। जइसे उदहारन -

A. संगिया सब्द मन मा 

शब्द
 विलोम शब्द 
कुकरा (मुर्गा)
कुकरी (मुर्गी)
कुवाँरा (अविवाहित बालक)
कुवांरी (अविवाहित लड़की)
गोंसइया (पति)
गोसइन (पत्नी, स्वामिनी)
ठाकुर (मालिक)
ठकुरइन (मालकिन)
जेठौत (ज्येष्ठ का पुत्र)
जेठौती (ज्येष्ठ की पुत्री)
बछरू (गाय का नर बच्चा)
बछिया (गाय का मादा बच्चा)
भइंस्सा (भैंसा)
भईंस्सी (भैंस)
सउंजिया (कृषि - नौकर)
सउंजनिन (कृषि - नौकर की पत्नी)
केंवट (मछुआरा)
केंवटिन (मछुआरिन)


B. बिसेसन सब्द मन मा 

शब्द
 विलोम शब्द 
मिठलबरा
मिठलबरी (झूठी)
नकटा
नकटी (नाक कटाने वाली)
पढ़ंता
पढंतिन (अधिक पढ़नेवाली)
बइहा
बहीं (पगली)
बउना
बउनी (नाटी) 
बपरा
बपरी (बेचारी)
दोखहा
दोखही (दुःख देने वाली)
मास्टर
मस्टरनिन (शिक्षिका)
डाक्टर
डक्टरनिन (डाक्टर)
भइरा
भइरी (बहरी)
चुगलहा
चुगलहिन (चुगली करने वाली)
जलनहा
जलनहिन (जलने वाली)
सरपाहा
सरपहिन (श्रापने वाली)
कुडकाहा
कुडकहिन (चिढने वाली)
डरपोंकना
डरपोकनिन (डरने वाली)
रेमटा
रेमटहिन (नाक बहने वाली)
खबड़ा
खबड़िंन (ज्यादा खाने वाली) 
उचका
उचकी (उछल - उछल कर चलनेवाली)
जदर्रा
जदर्री (अधिक मोटी)
जकहा
जकही (पगली)
छेरका
छेरकिन (बकरी चरानेवाली)
चेरिहा
चेरहिन (निंदा करनेवाली)
गोठकार
गोठकारिन (अधिक बातें करनेवाली)
खोर गिंजरा
खोरगिंजरी (गली गली घुमने वाली)
जियनपरहा
जियनपरहिन (काम से जी चुराने वाली)
मुचमुचहा
मुचमुचहिन (होठ दबाकर हंसनेवाली)
भजनहां
भजनहिन, भजनहीं (कीर्तन या भजन गानेवाली)
रेगड़ा
रेगड़ी (दुबली) 
भोभला
भोभली (बिना दांत वाली)
उटकहा
उटकही (उलाहना देनेवाली)
कैरा
कैरी (विविध रंगोवाली)
खपचलिहा
खपचलहिन (बहाना करनेवाला)
गुनवंता
गुनवंतिन (गुणवती)
गुड़िहार
गुड़िहारिन (बैठकों में भाग लेनेवाली) 
गपोड़हा
गपोइहिन (गप्प मारनेवाला)
निंदरा
निंदरी (गहरी नींद सोनेवाली)
धुमरा
धुमरी (मोटी)
धनमंता, धनवंता
धनमंतिन, धनवंती (धनी स्त्री)
दुलरवा
दुलवरिन (लाडली)
ढिंठहा
ढिठही (जिद्दी स्वभाववाली)
टसकहा
टसकहिन (चुपचाप खिसकनेवाली)
टटपुंजिहा
टटपुंजहिन (सीमित साधनबाली)
नटकुटिहा
नटकुटहिन (नटखट सी)
पँडरा
पँडरी (गोरी)
दूमुहां
दुमुहीं (स्वप्रशंसक)
ठेमना
ठेमनी (बौनी)


2. उपसर्ग लगाके कुछ सब्द अइसनो होथे जिंकर आघु मा 'अ, अन, अप, अब, आन, आने, कु, न, बि’ आदि उपसर्ग जोड़ के बिपरीत अर्थवाले सब्द बनाये जाथे। जइसे उदहारन -

शब्द
 विलोम शब्द 
अ + काट
अकाट (अकाट्य) 
अ + चेत
अचेत (बेसुध)
अ + कार
अकार (आकार)
अन + बरन
अनबरन (जिसका कोई वर्णन नही)
अन + भुलऊ
अनभुलऊ (नहीं भूलने योग्य)
अन + चिन्हार
अनचिन्हार (अपरिचित) 
अन + पढ़
अनपढ़ (निरक्षर)
अप + मान
अपमान (अनादर)
औ + बाट
औबट (कुपथ)
आन + गांव
आनगांव (अन्य गांव)
आने + जगा
आनेजगा (अन्यत्र)
आन + जात
आनजात (अन्य जाति)
न + राज
नराज (नाराजगी)
आने + पारा
आनेपारा (अन्य मोहल्ला) 
कु + नित
कुनीत (गलत नियम)
कु + बेरा
कुबेरा (असमय)
कु + मति
कुमति (कम बुद्धि)
कु + बोली
कुबोली (अनुचित बोली) 
न + जायज
नजायज (नाजायज)
न + बालिक
नबालिक (नाबालिक अवयस्क) 
न + पसंद
नपसंद (जो पसंद न हो)
बि + गार
बिगार (बिगाड़ना)
बि + बस
बिबस (बेबस)
बि + लाप
बिलाप (विलाप करना)
बिन + जांगर
बिनजांगर (हाथ पैर नही चलाना)
बिन + गुदार
बिनगुदार (कम गुदे दार)
बि + मत
बिमत (मतो में अंतर)
 

3. भिन्न उपसर्ग लगाके कभु - कभु उपसर्ग बाले सब्द मन ला आने उपसर्ग लगाके घलो बिलोम अर्थवाले सब्द बनाय जाथे फेर अइसन सब्द के संखिया छत्तीसगढ़ी मा बहुंते कम होथे। जइसे उदहारन -

शब्द
 विलोम शब्द 
एकरंगी
बदरंगी (विविध रंगोवाला)
एकावंट
गुरावंट (विनिमय विवाह)
एबखत
आनबखत (अन्य समय)
एदरी
आनदरी (दूसरी बार)
अगियानी
सगियानी (समझदार)
जियत बरेंडी
मरेबरेंडी (जो पति के मृत्युपरांत दूसरा पति बनाई हो)
बड़बोला
एकबोलिया (मितभाषी) 
बिनियाँ छेना
थोपना छेना (हाथ से बनाया हुआ कंडा)


4. आने परत्यय जोड़ के - कुछ सब्द मन मा आने परत्यय जोड़ के घलो बिलोम बिपरीत सब्द बनाय जाथे। जइसे उदहारन -

शब्द
 विलोम शब्द 
कुलतारक
कुलबोडक (कुल का नाम डुबानेवाला)
कुलवंता
कुलकलंक (कुल को बदनाम करनेवाला)
जातबाहिर
जातवाला (सजातीय)
देहछोड़वा
देहगिरा (प्राय : दूसरे से चिपक कर रहनेवाला)
मइलछटहा
मइलखोरहा (धूल चिपकानेवाला)
मुंडउघरी
मुड़ढंक्की (सिर उठाकर रहने वाली)
मुंडपेलवा
मुंडखुसरा (सिर झुका कर स्वीकार करनेवाला)
मुंहलुकवा
मुंहछोर (जिसमे वाद - संयम का अभाव हो)
हंथजोरवा
हंथछोर (जो तत्काल मार - पीट के लिए तैयार हो जाता है)


5. समासिक सब्द मा पहिली सब्द के परिवर्तन करके एमा कोनो भी समासिक सब्द के पहिली ला बदल दे जाथे। जइसे उदहारन -

शब्द
 विलोम शब्द 
अपन बर
दुसर बर (दुसरे के लिये) 
अपन दुवारी
परदुवारी (दूसरे का द्वार)
एकमइहा
दुमइहाँ (दो मुंहवाला चूल्हा)
करिया बादर
पंडरी बादर (श्वेत बादल)
खारराख
माटीराख (मिट्टी राख)
ननंद - भउजई
देवर - भउजई (देवर - भाभी)
पनियां - अंकाल
झुक्खा - अंकाल (सूखा आकाल)
पहाती - सुकवा
बुड़ती - सुकवा (सूर्यास्तकाल का शुक्रतारा)
बाउँत - पानी
पकउना - पानी (फसल पकाने के लिए खेतों में डाला जानेवाला पानी)
महतारी - बेटा
बाप - बेटा (पिता - पुत्र)
लरीबाती
फूलबाती (फूलबत्ती)
सगबेटा
हिंगलबेटा (पत्नी के पूर्व पति द्वारा उत्पन्न पुत्र)
सतबचन
झूठबचन (असत्य वचन)
रात भर
दिन भर (पुरे दिन) 


6. ऊनार्थक या न्यूनार्थक सब्द - जेकर ले कोनो जीनिस के छोटे होय के गियान होथे ओला ऊनार्थक सब्द कहे जाथे। ऊनार्थक सब्द मन घलो अकारवाची बिलोम अर्थवाले सब्द होथे। जइसे उदहारन -

शब्द
 विलोम शब्द 
अंगेठा
अंगेठी (जलती हुई पतली लकड़ी)
अलमारी
पठेरा (आलमारी से छोटा जगह)
आरा
आरी (लकड़ी चीरने का एक औजार)
कंसा
कंसी (धान की बाली का छोटा छोटा टुकड़ा)
कटोरा
कटोरी (एक छोटा पात्र)
करसा
करसी (मिट्टी का बना लाल रंग का घड़ा)
कुढ़ेना
कुढ़ेनी (ढेरी)
कुरचा
कुरचुल (लकड़ी, लोहा, काँच आदि का छोटा टुकड़ा)
केरा
केरी (छोटे आकार का केला)
कोपरा
कोपरी (छोटी परात)
खटिया
माँची (छोटी खाट)
खांचा
खंचकुल (छोटा गड्ढा)
खूंटा
खूंटी (कील)
खेखसा
खेखसी (सब्जी के काम आनेवाला एक फल)
गघरा
गघरी (घड़ा)
गाड़ा
गाड़ी (बैलों द्वारा खींची जानेवाली गाड़ी)
गैंती
कुदारी (कुदाली)
गोरसा
गोरसी (मिटी का बना कटोरानुमा पात्र)
चरखा
चरखी (तकली
चरिहा
टुकनी (टोकरी)
चंवरा
चंवरी (चबूतरा)
जांता
जतली (चक्की)
डोंगा
डोंगी (नाव)
ढोरगा
ढोरगी (प्राकृतिक रूप से बनी नाली)
तरिया
डबरी (छोटा तालाब)
डोर
डोरी (रस्सी)
थारी
थरकुलिया (थाली का छोटा रूप)
पढ़ीना
लपचा (पढ़ीना नामक मछली का बच्चा)
बसला
बसली (एक धारदार छोटा हथियार)
बाँबर
बाँबी (एक प्रकार की मछली)
लोड़हा
लोड़ही (सिल का छोटा बट्टा)
हँसिया
इल्ली (छोटा हँसिया)
कटोरा
कटोरी (छोटी कटोरी)
कराव
कराही (छोटा कड़ाही)
सुपा
सुपली (सुपा का छोटा रूप) 
हंथवड़ा
हंथवड़ी (हंथौड़ा)
रापा
रपली (छोटा फावड़ा)
सिड़हा
सिड़ही (सिढ़ी)
दीया
चिमनी (मिट्टी तेल का दीपक)

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