छत्तीसगढ़ी भाषा एवं व्याकरण | Chhattisgarhi Language and Grammar

छत्तीसगढ़ी भाषा - छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ राज्य में बोली जाने वाली भाषा है। यह हिन्दी के अत्यन्त निकट है और इसकी लिपि देवनागरी है। छत्तीसगढ़ी का अपना समृद्ध साहित्य व व्याकरण होने के कारण इसे छत्तीसगढ़ का भाषा कहा गया है। छत्तीसगढ़ी भाषा 2 करोड़ लोगों की मातृभाषा है। यह पूर्वी हिन्दी की प्रमुख बोली है और छत्तीसगढ़ राज्य की प्रमुख भाषा है।

Chhattisgarhi Language and Grammar

भाखा - "भाखा" मन के भाव अउ बिचार बियक्त करे के साधन या फेर माधियम आय। भाखा (भाषा) सब्द हा संस्किरित के "भाष" धातु ले बने हे। जेकर अर्थ होथे - कहना। अपन मन के बात ला बियक्त करे बर जउन माधियम के उपयोग करे जाथे वोला "भाखा" (भाषा) केहे जाथे। भाखा एक परकार ले कहे जाय ता ध्वनि संकेत आय भाखा हा। जब कोनो बियक्ति या मनखे अपन मन के भाव अउ बिचार ला परगट करे बर या आगु वाला ला समझाय बर अपन अपन मुंहु ले एक सुनिस्चित अर्थ के संग मा बोध होवइया अउ अर्थवान सब्द समुह के अदान परदान बिचार के बोध होथे तउन ला "भाखा" केहे जाथे।

छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रकार

छत्तीसगढ़ी भाखा ला तीन रूप मा बाँटे जा सकथे, जउन ए परकार ले हे -

1. इसारा के भाखा (इशारा का भाषा) 
2. कहा नइते मौखिक भाखा (मौखिक भाषा) 
3. लिखा के भाखा (लिखित भाषा)

1. इसारा के भाखा (इशारा का भाषा) - इसारा मतलब होथे हांत पांव, मुंड़ी, आंखी, अउ सरीर के हाव भाव ले समझाना या बताना, एक परकार से केहे जाय ता एहा संकेत हरे। जइसे आंखी ले अंखियाके, मुड़ी ला एती तेती हला के या उपर नीचे करके, अपन चेहरा मा भाव मुह मोड़ना, सिकोड़ना, मुहं ला अइंठना, नाक ला सिंकोड़ना आदि। हांथ ले, अंगरी के माधियम से छू के या देखा के आदि परकार से हे जेन हा इसारा के भाखा आय। 

2. कहा नइते मौखिक भाखा (मौखिक भाषा) - ए हा मुहु ले बोले जाथे, जउन ला मुहु ले भाखे जाथे अउ कान ले सुने जाथे तेन भाखा हा कहा नइते मौखिक भाखा आय। जइसे - आमने सामने मा एक दुसर ले बातचीत करना, कखरो भासन देना अउ सुनना, मोबाईल मा गोठबात, रेडिया सुनना, टीभी देखना अउ सुनना आदि।

3. लिखा के भाखा (लिखित भाषा) - लिख के अपन भाव अउ बिचार ला बियक्त करना। एमा बिचार बियक्त करइया के आघु मा रहना जरूरी नइहे, जउन भाखा ला हाँत ले नइते आने अउ दुसर माधियम ले लिख के बियक्त करे जाथे अउ आँखी ले देखे नइते पढ़े जाथे वोला 'लिखा के भाखा' केहे जाथे, जइसे - चिट्ठी, कबिता, कहानी, उपनियास, लेख, समाचार, पत्र पतरिका, ब्लाग आदि।

छत्तीसगढ़ी भाखा के रूप

छत्तीसगढ़ी के भाखा के बाद मा राजभाखा बने ले भाखा के तिन रूप परजलित हाबे -

1. महतारी के भाखा (मातृभाषा) 
2. राजभाखा (राज भाषा) 
3. बोली

1. महतारी के भाखा (मातृभाषा) - ए ला हिंदी भाखा मा मातृभाषा केहे जाथे, लईका जबले जनम धर के आथे तेन समे ले ओखर महतारी के संग मा जेन भाखा ला पहिली सिखथे अउ उही ला अपन उमर भर गोठियाथे। जउन भाखा ले छुटपन मा महतारी संग गोठबात होथे वोला महतारी के भाखा केहे जाथे। इही भाखा के उपयोग रोजमर्रा के जिनगी मा जादा होथे।

2. राजभाखा (राजभाषा) - जेन ला राजनीतिक, सांस्किरीतिक अउ बिवहारिक रूप मा जम्मो परदेस के जादा ले जादा जनता मन हा परयोग करथे तेन ला "राजभाखा" केहे जाथे। ए ला पूरा परदेस या राज मा जादा ले जादा संखिया मा परयोग करे जाथे।

3. बोली - भाखा के जउन रूप ला सीमित उपयोग के संग - अपन घर परिवार, अपन जाति, अपन समुह, अपन गांव मा आम जनता दुवारा उपयोग करे जाथे ओला "बोली ” केहे जाथे।

छत्तीसगढ़ राज्य जनजाति बहुल परदेस आय, छत्तीसगढ़ी मा जगा अउ जात के अधार मा कोनो हा तिरानबे ता कोनो हा बिंयालिस परकार बताय हे, जउन मे के कुछ बोली अइसन ढंग ले है।

जगा अउ जात के अधार मा बोली के परकार -

• कंदरी छत्तीसगढ़ी
• खलहाटी
• लरिया
• कलंगा
• कलंजिया
• कवर्धाई
• कांकेरी
• खैरागढ़ी
• गोरो
• गौरिया
• चामसिल्पी
• जसपुरी
• डँगचगहा
• देवार
• धमधी
• नांदगाही
• नागबंसी
• पंडो
• पनको
• पारधी
• बहेलिया
• बिंझवारी
• बिलासपुरी
• बैगानी
• भूलिया
• मरारी
• रतनपुरी
• रइपुरी
• सतनामी
• सदरी - कोरबा
• सरगुजिया
• हलबी
• अकुरी
• चंदारी
• जोगी
• धाकड़
• नाहरी
• महरी
• मिरगानीका
• कमारी
• बस्तरी

भौगोलिक स्थिति के अनसार छत्तीसगढ़ी भाखा के विभाजन

भौगोलिक स्थिति के अनसार छत्तीसगढ़ी भाखा के पाँच भेद करे जाथे -
1. भंडार (उत्तरी) छत्तीसगढ़ी (सरगुजिया)
2. उत्ती (पूर्वी) छत्तीसगढ़ी (लरिया)
3. रक्सहूँ (दक्षिणी) छत्तीसगढ़ी (बस्तरी)
4. बुड़ती (पश्चिमी) छत्तीसगढ़ी (खलटाही)
5. केंदरी (केन्द्रीय) छत्तीसगढ़ी

1. भंडार (उत्तरी) छत्तीसगढ़ी (सरगुजिया) - ये बोली ला रइगढ़, बलरामपुर, सूरजपुर, जसपुर, कोरिया अउ सरगुजा जिला के भंडार (उत्तरी) एलंग मा बोले जाथे। ये मा भोजपुरी के परभाव मिलथे। एमा परमुख भाखा सरगुजिया आय। ये भाखा एलंग मा पाँच परकार के बोली बोले जाथे - 
1. पंडो
2. सदरी - कोरबा
3.जसपुरी
4. सरगुजिया
5. नागबंसी

2. उत्ती (पूर्वी) छत्तीसगढ़ी (लरिया) - एकर परयोग रइगढ़, बलौदा बजार, जांजगीर चांपा, तिलदा, गरियाबंद, महासमुंद अउ रइपुर जिला के उत्ती मुंडा मा करे जाथे। एमा लरिया परमुख आय। ये भाखा एलंग मा छय बोली बोले जाथे - 
1. कलेगा
2. कलंजिया
3. चामसिल्पी
4. बिंझवारी
5. भूलिया
6. लरिया

3. रक्सहूँ (दक्षिणी) छत्तीसगढ़ी (बस्तरी) - येला हल्बी अउ गोंड़ी बोली केहे जा सकथे। ये बोली एलंग के उत्ती मुंडा मा उड़िया, रक्सहूँ मुँडा मा गोड़ी अउ बुड़ती मुँड़ा मा मराठी के परभाव हाबे। ये ला नरायनपुर, कोण्डागांव, जगदलपुर, बीजापुर, सुकमा अउ दंतेवाड़ा जिला मा बोले जाथे। एमा बस्तरी परमुख बोली आय। ये भाखा एलंग मा नव बोली बोले जाथे - 
1. अदकुरी
2. चंदारी
3. जोगी
4. धाकड़
5. नाहरी
6. बस्तरी
7. महरी
8. मिरगानी
9. हल्बी

4. बुड़ती (पश्चिमी) छत्तीसगढ़ी (खलटाही) - येकर परयोग छत्तीसगढ़ मे कबीरधाम, बेमेतरा, अउ राजनांदगाँव जिला के बुड़ती मुँड़ा अउ बिलासपुर जिला के भंडार - बुड़ती मुँड़ा मा करे जाथे। येमा मराठी अउ बुंदेली के परभाव हाबे। येमा खलटाही बोली परमुख हावे। ये भाखा एलंग मा चार बोली बोले जाथे -
1. कमारी
2. खलटाही
3. पनकी
4. मरारी

5. केंदरी (केन्द्रीय) छत्तिसगढ़ी - एकर परयोग कबीरधाम अउ राजनांदगाँव के बुड़ती मुँडा, रइपुर जिला के रक्सहूँ - उत्ती मुँडा गरियाबंद जिला के रक्सहूँ मुंडा, महासमुंद जिला के उत्ती मुंड़ा अउ बिलासपुर जिला के भंडार - बुड़ती मुँडा ला छोंड़ के उँकर बाँकी भाग मा अउ कोरबा जांजगीर दुरूग, धमतरी, बलउद अउ काँकेर जिला मा होथे। ये मा हिन्दी भाखा के परभाव देखे बर मिल थे। येमा केंदरी बोली परमुख हावे। ये भाखा एलंग मा अट्ठारा परकार के बोली बोले जाथे - 
1. कवर्धाई
2. काँकेरी
3. खैरागढ़ी
4. गोरो
5. गौरिया
6. केंदरी छत्तिसगढ़ी
7. डंगचगहा
8. देवार
9. धमधी
10. नांदगाही
11. पारधी
12. बहेलिया
13. बिलासपुरी
14. बैगानी
15. रतनपुरी
16. रइपुरी
17. सिकारी अउ
18. सतनामी

छत्तीसगढ़ी व्याकरण

हीरालाल काव्योपाध्याय ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ी व्याकरण का लेख किया था, जब कोनो भाखा ला नीतिगत ढंग ले एक नियमबद्ध अउ बेवस्थित ढंग ले लिखे अउ बोले जाथे त वोला "बियाकरन" केहे जाथे। हरेक भाखा के अपन अलग - अलग बियाकरन होथे, जेकर ले दो भाखा के ध्वनि, आखर, सब्द अउ बाक्य के सुद्ध परियोग खातिर नियम के निरूपन करे जाथे। छत्तीसगढ़ी भाखा के अपन अलग बिसेसता हे, भलुक ए हा हिंदी बियाकरन ले मिलती जुलती हे फेर छत्तीसगढ़ी बियाकरन भाखा बोली हिंदी ले अलगेच हे।

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