छत्तीसगढ़ राज्य अपनी लोक कला एवं संस्कृति के साथ-साथ फिल्म जगत में नई पहचान के
साथ भी छत्तीसगढ़ तेजी से उभर रहा है तथा साथ ही संचार के क्षेत्र में भी आगे है।
छत्तीसगढ़ में फिल्म जगत की स्थापना 1965 से प्रारंभ हुई। छत्तीसगढ़ी फिल्मों
को छालीवुड (Chhollywood) कहा जाता है। राज्य की प्रथम
छत्तीसगढ़ी फिल्म (CG Movie), प्रथम रंगीन फिल्म एवं प्रमुख फिल्मों
की सूची निम्नलिखित है।
कहि देबे संदेस | Kahi Debe Sandes
छत्तीसगढ़ की प्रथम फिल्म कहि देबे सन्देस है। छत्तीसगढ़ की प्रथम फिल्म कही देबे सन्देस का प्रकाशन 16 अप्रैल 1965 में हुआ था। इस फिल्म के निर्माता - मनु नायक,
निर्देशक - मनु नायक, एवं गीतकार - हनुमन्त नायडु (राजदीप) है।
विशेष - छत्तीसगढ़ में फिल्म जगत के जन्मदाता मनु नायक जी है।
घर द्वार | Ghar Dwar
छत्तीसगढ़ की द्वितीय फिल्म घर द्वार है। छत्तीसगढ़ की द्वितीय फिल्म घर द्वार का
प्रकाशन 1971 में हुआ था। इस फिल्म के निर्माता - विजय कुमार पाण्डेय, निर्देशक -
निरंजन तिवारी, एवं गीतकार - हरि ठाकुर है।
छंइहा भुंईया Mor | Chhaiya Bhuiya
मोर छंइहा भुंईया छत्तीसगढ़ की प्रथम रंगीन फिल्म है। जिसका प्रकाशन 27 अक्टूबर
2000 को हुआ था। इस फिल्म के निर्माता - शिवदयाल जैन, निर्देशक - सतीश जैन, एवं
गीतकार - लक्ष्मण मस्तुरिया है।
भूलन द मेज | Bhulan the Maze
67वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में छत्तीसगढ़ की फिल्म (Chhattisgarhi
Film) 'भूलन द मेज' (Bhulan the Maze) को राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया। इसे
छत्तीसगढ़ी सिनेमा के जाने-माने डायरेक्टर मनोज वर्मा ने छत्तीसगढ़ी भाषा में
बनाई है। यह फिल्म भूलन कांदा उपन्यास पर आधारित है, इसके लेखक संजीव बख्शी जी हैं।
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