जिस तरह से हिंदी व्याकरण भाषा में वचन होता है ठीक उसी तरह से छत्तीसगढ़ी भाषा व्याकरण में भी वचन होता है जिसे छत्तीसगढ़ी में बचन कहते हैं।
वचन का परिभाषा हिंदी में - वचन का शब्दिक अर्थ संख्यावचन होता है। संख्यावचन को ही वचन कहते हैं। वचन का एक अर्थ कहना भी होता है। संज्ञा के जिस रूप से किसी व्यक्ति, वस्तु के एक से अधिक होने का या एक होने का पता चले उसे वचन कहते हैं। अथार्त संज्ञा के जिस रूप से संख्या का बोध हो उसे वचन कहते हैं अथार्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से हमें संख्या का पता चले उसे वचन कहते हैं।
जैसे -
लडकी खेलती है।
लडकियाँ खेलती हैं।
वचन का परिभाषा छत्तीसगढ़ी में - जउन मा संगिया, सर्वनाम, बिसेसन अऊ किरिया के जउन रूप ले संखिया या गणना के पहिचान होथे एला बचन केहे जाथे।
छत्तीसगढ़ी वचन के भेद -
जिस तरह हिंदी व्याकरण भाषा में वचन के भेद होते हैं उसी प्रकार से छत्तीसगढ़ी भाषा व्याकरण में भी बचन के दो भेद हैं।
बचन के दू ठन भेद या परकार होथे -
1. एकबचन (Singular Number)
2. बहुबचन (Plural Number)
1. एकबचन (Singular Number) - जउन सब्द ले एक मनखे नइते जिनिस के गियान होथे जेन ला एकबचन केहे जाथे। एकर रूप परिवर्तन (विकार) नइ होवय।
जइसे - बइला, खटिया, नरवा, नाली, रामु, टेटकू, हांथी आदि।
2. बहुबचन (Plural Number) - जउन सब्द ले दू नइते दू ले जादा मनखे नइते जिनिस के होय के गियान या पहिचान होथे एला बहुबचन केहे जाथे। छत्तीसगढ़ी मा बहुबचन के रूप ' मन ' परत्यय लगाय ले बनथे।
जइसे - मनखे मन, गरवा मन, पथरा मन, खेत मन, चिरई मन, आदमी मन, हांथी मन, घोड़ा मन, टूरा मन, टूरी मन, लइका मन आदि।
बचन के रूपांतरन -
1. बचन के कारन संगिया, सर्वनाम अउ किरिया के रूप मा परिवर्तन होथे । बिसेसन के रूप मा भलुक परिवर्तन नइ होय । सर्वनाम अउ किरिया के रूप संगिया मा अधारित होय के सेती ' बचन ' मा संगिया सब्द के रूपांतर मिलथे।
जइसे उदहारन -
एकवचन - बहुवचन
नोनी - नोनीमन
टुकनी - टुकनीमन
गइया - गइयामन
बाबू - बाबूमन
लईका - लईकामन
2. छत्तीसगढ़ी मा बिभक्ती रहित अउ बिभक्ती सहित दुनों स्थिती मा संगिया के बहुबचन रूप 'मन' परत्यय लगाय ले बनथे।
जइसे उदहारन -
संगिया - एकवचन - बहुवचन बिभक्ती रहित बिभक्ति सहित
लईका - लईकामन खा डारिस - लईका मन ला खवावव
टुरा - टुरामन भगागे - टुरा मन ला भगावव
नोनी - नोनीमन खइन - नोनी मन हा खइन
पाना - पाना मन परे हे - पाना मन ला रपोटौ
टुकनी - टुकनी मन बने हैं - टुकनी मन मा भरव
बाबू - बाबूमन बने हे - बाबू मन हा बने हे
दीदी - दीदीमन दगा दिन - दीदी मन ला बलाव
अंधरा - अंधरामन गंवागे - अंधरा मन ला नइ दिखय
कोंदा - कोंदा मन आय हे - कोंदा मन बर खुर्शी ला
3.बिसेसन के परयोग कहूँ संगिया के रूप मा होही ता बचन के कारन ओकरो रूपांतरन होथे।
जइसे उदहारन -
1. चंदवा चंदवा मन आय हवय।
2. चतुरामन बाँचगे।
3. रेंगइया मन ला रेंगन दे।
उपर के बाक्य मा 'चंदवा चंदवा 'चतुरा' अउ 'रेगइया' बिसेसन आय। इंकर परयोग संगिया के रूप मा होय हवय, बहुवचन मा होय के सेती 'मन' परत्यय के जुड़े ले रूपांतर होगे हवय।
बचन संबंधी कुछ महत्वपूर्ण अऊ जरूरी बात -
A. जब द नइते टू ले जादा मनखे, नइते जिनिस के संबंध एके मनखे नइते जिनिस ले होथे तब अइसन संबंध बाचक सब्द मन के परयोग एकवचन मा करे जाथे।
जइसे उदहारन -
1. बलराम के ददा वासुदेव आय - बलराम अऊ कृष्ण के ददा वासुदेव आय।
2. चंदा भगवान आय - चंदा अऊ सुरूज भगवान आय।
3. लव के बबा महराज दसरथ आय - लव अउ कुस के बबा महराज दसरथ आय।
4. आगी देवता आय - आगी, हवा अऊ पानी कस देवता आय।
5. कनवां, खोरवा के मितान आय - कनवां, खोरवा अऊ कोंदा के मितान आय।
6. चोर, डाकु के संगवारी आय - चोर, डाकु अऊ लुटेरा के संगवारी आय।
B. छत्तिसगढ़ी मा कुछ अइसनों संगिया हे जिकर रुप दोनो वचन मा एक जइसे रथे। ये सब्द मन पदार्थ बाचक अउ भाव वाचक संगिया होथे।
जइसे उदहारन -
1. तोर हिम्मत बिकट बाढ़ गेहे। (तुम्हारी हिम्मत बहुत बढ़ गई है)
2. मोर परान छुटत हे। (मेरा प्राण निकल रहा है)
3. बिकट दिन मा दरसन दे हस। (बहुत दिनों के बाद दिखाई देना)
4. रावन के बीस आँखी नइ रिहिसे। (रावण बीस आँखे नहीं थी)
5. मोर नजर ले दुरिहा हट। (मेरी नजरों से दूर हटो)
6. गोठ सुरू होइस। (बातें शुरू हुई)
7. तोर मुख ला टार। (यहां से हटो)
अइसन सब्द के कुछ अउ उदाहरन - सांसा, परान, हावा, किम्मत, हिम्मत, सुम्मत, ओठ, दरसन, लहू आदि हाबे।
C. गुनबाचक संगिया मन के परयोग एकबचन मा होथे।
जइसे उदहारन -
1. पढ़ई करे के बड़ महत्तम होथे। (पढ़ाई करने बहुत फायदेमंद होते है)
2. रमायन मा बहुंत बिसेसता हाबे। (रामायण में बहुत विशेषताएँ हैं)
3. आमा खाए के सुवादे अलग हे। (आम खाने का स्वाद ही अलग है)
4. परबस मा रेहे के कतको मजबूरी होथे। (पराधीन रहने की कई मजबूरियाँ होती है)
5. वोकर सिधवापन मोला मोह डरिस। (उसका सीधापन मुझे मोह लिया)
6. तोर बड़प्पन आय जेन मोला गाड़ी मा बइठालेस। (आपका बड़प्पन है जो आपने गाड़ी में बिठाया)
D. दरब (द्रव्य) बाचक संगिया मन के परयोग एकबचन मा होथे।
जइसे उदहारन -
1. मोर करा अब्बड कन सोन अऊ चांदी हे। (मेरे पास बहुत सारा सोना और चांदी है)
2. एसो अब्बड़ पानी गिरिस। (इस वर्ष बहुत पानी गिरा )
3. वोकर जम्मो पूँजी नंदागे। (उसकी पूरी पूंजी बरबाद हो गई)
4. एसो अब्बड घाम करिस। (इस वर्ष बहुत गर्मी हुई)
5. वोकर कना बिक्कट सोन हे। (उसके पास बहुत सोना है)
E. 'परतेक', 'हरेक' अउ 'हर ' के परयोग सदा एकबचन मा होथे।
जइसे उदहारन -
1. पररतेक मनखे ला टीका लागही। (प्रत्येक व्यक्ति को टीका लगेगा)
2. परतेक मनखे मिहिनत करही। (प्रत्येक व्यक्ति मेहनत करेगा)
3. हरेक घर मा खोजहू। (हर एक घर में ढूंढना)
4. परतेक घर मा सईकिल होथेच। (प्रत्येक घर में साइकिल होता ही है)
5. हर घर खुसहाल होही। (हर घर खुशहाल होगा)
6. हरेक घर मा लईकामन उतलंग करथे। (हर घर में बच्चे परेशान करते हैं)
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