गरियाबंद जिला | गरियाबंद जिले का इतिहास एवं सामान्य परिचय | Gariaband District

01 जनवरी 2012 को अस्तित्व में आया गरियाबंद जिले का समारोहपूर्वक शुभारंभ 11 जनवरी 2012 को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा किया गया। 5822.861 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला यह जिला प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण है। गरियाबंद जिले के प्रमुख तीर्थ स्थल राजिम जिसे छत्तीसगढ़ का प्रयागराज भी कहा जाता है, में हर साल माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक पुन्नी मेला का आयोजन किया जाता है।

Gariyaband District

गरियाबंद जिले का सामान्य परिचय


01 जनवरी 2012
जिला मुख्यालय
गरियाबंद
मातृ जिला
सीमावर्ती जिले (3)
सीमावर्ती राज्य (1)
1. ओडिशा
1. राजिम, 2. गरियाबंद, 3. छुरा, 4. देवभाेग, 5. मैनपुर
विकासखण्ड (5)
1. राजिम, 2. गरियाबंद, 3. छुरा, 4. देवभाेग, 5. मैनपुर
1. गरियाबंद
विधानसभा क्षेत्र (2)
1. राजिम, 2. बिन्द्रा-नवागढ़ (ST)
पिनकोड
493889 (गरियाबंद)
आधिकारिक वेबसाइट

• प्रमुख जनजाति -

1. कमार
2. कंडरा
3. भुंजिया

• औद्योगिक क्षेत्र -

1. बेलटुकरी

• औद्यौगिक पार्क -

1. जैविक उपभोक्ता बाजार, गरियाबंद
2. स्टोन कटिंग कॉम्प्लेक्स, बासीन (राजिम)

• प्रमुख खनिज -

1. हीरा भंडारण क्षेत्र -
मैनपुर - पायलीखण्ड, बेहराडीह, कोदोमाली, कुसुममुड़ा

2. गार्नेट उत्पादक क्षेत्र -
गोहेकला, गोहेपदर, इमलीपदर, लाटा, धुमकोटा, केंदुवन।

3. अलेक्जेंड्राइट भंडारण क्षेत्र -
देवभोग (सेंदमुड़ा), लाटापारा।

• अभ्यारण्य -

1. उदन्ती अभ्यारण्य
• क्षेत्रफल - 230 वर्ग किमी
• स्थापना - 1983
• प्रोजेक्ट टाइगर - 2006
• टाइगर रिजर्व - 2009

• नदी -

1. पैरी नदी
उद्गम - भातृगढ़ी पहाड़ी

• जलप्रपात -

1. गोदना जलप्रपात
2. जतमई एवं घटारानी

• परियोजना -

1. सिकासार परियोजना
निर्माण - 1995
विद्युत उत्पादन - 2006 से

गरियाबंद जिले का इतिहास

ब्रिटिश काल के दौरान गरियाबंद जिला महासमुंद तहसील के अंतर्गत आता था। प्रारंभ में बिंद्रानवागढ़ तहसील के नाम से गरियाबंद जिले का अस्तित्व था। प्रशासनिक सुविधाओं का जनसामान्य तक पहुंच को विस्तारित करने के उद्देश्य से क्रमशः फिंगेश्वर, छुरा, देवभोग, एवं मैनपुर तहसील, उपतहसील में विभाजित हुआ है। बिन्द्रानवागढ़ के प्रमाणित दस्तावेज पर्याप्त उपलब्ध नहीं है। पर जनश्रुति और कतिपय प्रमाणों के अनुसार आदिवासी राजाओं जंमीदारों का प्रशासनिक क्षेत्र रहा है। बिन्द्रानवागढ़ और गरियाबंद मुख्य प्रशासनिक क्षेत्र रहें। गोंड़ आदिवासी राजाओं ने अपनी राजधानी 1901 में छुरा स्थानांतरित किया। इस अवधि में फिंगेश्वर की जंमीदारी (घाट खाल्हे के 82 ग्रामों सहित शासित होते रहे) राजिम में मराठा शासकों के नियंत्रण में जमींदारियां बनी। पाण्डुका क्षेत्र में साहू लोगों की जमींदारियां बनी पण्डित सुन्दरलाल शर्मा की मुख्य कार्य स्थली राजिम क्षेत्र था।

गरियाबंद जिले में पर्यटन स्थल

राजिम

• प्राचीन नाम - पद्म क्षेत्र, देवपुर, कमल क्षेत्र
• संगम - महानदी, पैरी व सोंदूर नदी का
• राजिम को छत्तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाता है।
• छत्तीसगढ़ विधानसभा में राजिम में कुंभ मेला हेतु 2006 में विधेयक पारित किया गया।
• प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक यहां मेले का आयोजन किया जाता है जिसे कुंभ मेले की संज्ञा दी जाती थी किन्तु वर्तमान में 2019 से इसे पुन्नी मेला के नाम से जानी जाती है।
• लोमस ऋषि, भौम्य ऋषि आश्रम राजिम में है।
• महानदी पर संस्पेंशन ब्रिज प्रस्तावित है।
• अन्य मंदिर पंचेश्वर महादेव मंदिर (9 वीं सदी), भूतेश्वर महादेव (14 वीं), राजिम तेलीन मंदिर, रामचन्द्र मंदिर व दानेश्वर मंदिर।

राजीव लोचन मंदिर, राजिम

• निर्माण - 7वीं शताब्दी
• निर्माणकर्ता - विलासतुंग
• जीर्णोद्वार - जगतपाल
• यह पंचायत शैली में निर्मित वैष्णव धर्म से संबंधित है।
• राजीव लोचन विष्णु मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

पंचकोसी यात्रा

यह पांच दिनों तक चलने वाली 25 कोस पैदल चलकर पांच पड़ाव में पांच शिवलिंगों का दर्शन करते हैं। इसका प्रारंभ एवं समापन त्रिवेणी संगम पर स्थित कुलेश्वर महादेव मंदिर के पूजा - पाठ से सम्पन्न होता है।

पंचकोसी यात्रा में क्रमशः पांच शिवलिंग का दर्शन करते हैं -
1. पटेश्वरनाथ (पटेवा)
2. बम्हनेश्वरनाथ (बम्हनी)
3. फणेश्वरनाथ (फिंगेश्वर)
4. चम्पेश्वरनाथ (चम्पारण)
5. कोपेश्वरनाथ (कोपरा)
इन पांच मंदिरों का केन्द्र राजिम का कुलेश्वर मंदिर है।

कुलेश्वर महादेव मंदिर, राजिम

• महानदी, पैरी, सोंढूर के संगम पर निर्मित है।
• यहां प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक मेला लगता है।

फिंगेश्वर

1. फणीकेश्वरनाथ मंदिर
2. महादेव मंदिर
3. मावली माता मंदिर

पांडुका

• महर्षि महेश योगी का आश्रम

अन्य पर्यटन स्थल

1. जतमई जलप्रपात
2. घटारानी जलप्रपात
3. सिकासार जलाशय
4. उदंती अभ्यारण्य
5. देवधारा जलप्रपात
6. गोदना जलप्रपात

केन्द्र संरक्षित स्मारक

1. राजीव लोचन मंदिर, राजिम
2. सीताबाड़ी, राजिम
3. रामचन्द्र मंदिर, राजिम

Post a Comment

0 Comments