गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिला | गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले का इतिहास एवं सामान्य परिचय | Gaurela-Pendra-Marwahi District

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिला छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश की सीमा पर स्थित है, और इसे जिला बनाने राजपत्र में प्रकाशन 3 जुलाई 1998 में ही हो गया था। गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही 10 फरवरी 2020 को छत्तीसगढ़ के 28 वें जिले के रूप में अस्तित्व में आया।

Gaurela Pendra Marwahi District

जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, उत्तर में तहसील मनेन्द्रगढ़ जिला कोरिया छत्तीसगढ़, दक्षिण में तहसील कोटा जिला बिलासपुर एवं तहसील लोरमी जिला मुगेंली छत्तीसगढ़, पूर्व में तहसील कटघोरा जिला कोरबा छत्तीसगढ़, पश्चिम में तहसील सोहागपुर एवं पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश से घिरा हुआ है। जिले का क्षेत्रफल 2307.39 वर्ग किलोमीटर है। 2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल जनसंख्या लगभग 336420 है। वर्तमान में गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में 3 तहसील,3 ब्लॉक और 223 गांव शामिल हैं।

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले का सामान्य परिचय


10 फरवरी 2020
जिला मुख्यालय
गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही
मातृ जिला
सीमावर्ती जिले (4)
सीमावर्ती राज्य (1)
1. मध्यप्रदेश
1. गौरेला, 2. पेण्ड्रा, 3. मरवाही
विकासखण्ड (3)
1. गौरेला, 2. पेण्ड्रा, 3. मरवाही
नगर पंचायत (2)
1. गौरेला, 2. पेण्ड्रा
विधानसभा क्षेत्र (1)
1. मरवाही (ST)
पिनकोड
495117 (पेण्ड्रा रोड)
495118 (मरवाही)
आधिकारिक वेबसाइट

• औद्योगिक क्षेत्र -

1. अंजनी

• प्रक्षेत्र -

1. पशु प्रजनन प्रक्षेत्र - पेण्ड्रा
2. बकरी प्रजनन प्रक्षेत्र - पकरिया

• महोत्सव -

• यहां प्रतिवर्ष जिला स्थापना के अवसर पर अरपा महोत्सव का आयोजन किया जाता है।

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले का इतिहास

नवगठित जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में पेंडरा जमींदारी का क्षेत्रफल 774 वर्गमील था एवं इसके अंतर्गत 225 ग्राम थे। रत्नपुर के कलचुरि नरेश के आश्रय में हिन्दूसिंह और छिन्दूसिंह नामक दो भाई रहते थे। इन्होंने रास्ते के किनारे एक बोरा भर द्रव्य पडे़ पाया जिसे वे राजा को दे आए। राजा ने उसकी इस इमानदारी से प्रसन्न होकर इन्हें पेण्डरा जमींदारी ईनाम में दी । यह जमींदारी इनके घराने में 12 पुश्तों से चली आयी थी। पंडरीवन अर्थात् पेंडरा से हिन्दूसिंह के वंश की बड़ी उन्नति हुई। 80 और 100 वर्ष के भीतर इसके वंशज केन्दा, उपरोडा, मातिन के अधिकारी बन बैठे। मराठों के शासन काल में भी ये अपनी जमींदारियों का उपभोग सन् 1798 तक करते रहें। सन् 1818 में जब कर्नल एगन्यू छत्तीसगढ़ का सुपरेन्डेंटेंड होकर आये तक उसने पुराने अधिकारी के वंशज अजीत सिह को जमींदारीं सौंप दी। मराठा काल में पेंडरा गढ़ पिंढारियों का महत्वपूर्ण केन्द्र था। इस क्षेत्र में पिण्डारे डाकू होते थे, जो रतनपुर और जबलपुर तक आक्रमण किया करते थे। इन्हीं के कारण इस क्षेत्र को पिण्डारा कहा जाता था जो वर्तमान में पेण्ड्रा हो गया।

छत्तीसगढ़ का प्रथम समाचार पत्र छत्तीसगढ़ मित्र का प्रकाशन मासिक पत्रिका के रूप में पेण्ड्रा से वर्ष 1900 में पण्डित माधवराव सप्रे के सम्पादन में किया गया। जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही चावल की गुणवत्ता, आदिवासी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि जैसी अनूठी विशेषताओं के कारण न केवल छत्तीसगढ़ राज्य में प्रसिद्ध है बल्कि सम्पूर्ण भारत में प्रसिद्ध है।

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में पर्यटन स्थल

1. जलेश्वर धाम
• यहां प्राचीन शिव मंदिर स्थित है।

2. लक्ष्मण धारा

3. झोझा जलप्रपात

4. कबीर चबूतरा

गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले में विशेष

• धनपुर - पत्थर पर उत्कीर्ण जैन - मूर्तिकला

• माधव राव सप्रे - द्वारा प्रथम मासिक पत्रिका, छत्तीसगढ़ मित्र का प्रकाशन पेण्ड्रा रोड गौरेला - पेण्ड्रा - मरवाही जिले से किया गया। (सहयोगी - रामराव चिंचोलकर)

• मरवाही क्षेत्र के वनों में सफेद भालू पाये जाने की जानकारी मिली है।

• इस क्षेत्र में बैगा और अगरिया जनजाति निवास करती है।

• इस क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी पलमागढ़ चोटी (1080 मी) है।

• अरपा नदी का उद्गम खोंडरी - खोंगसरा की पहाड़ी से होती है।

Post a Comment

0 Comments