महासमुंद जिला | महासमुंद जिले का इतिहास एवं सामान्य परिचय | Mahasamund District

महासमुंद छत्तीसगढ़ का एक जिला है, महासमुंद जिले का गठन 6 जुलाई 1998 में हुआ। महासमुंद जिला पूर्व में रायपुर जिले का एक हिस्सा था। महासमुंद जिला अपनी सांस्कृतिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र 'सोमवंशीय सम्राट' द्वारा शासित 'दक्षिण कोशल' की राजधानी थी, यह सीखने का केंद्र भी हैं। यहाँ बड़ी संख्या में मंदिर हैं, जो अपने प्राकृतिक और सौंदर्य के कारण हमेशा आगंतुकों को आकर्षित करते हैं।

Mahasamund District

महासमुंद जिले का सामान्य परिचय


6 जुलाई 1998
जिला मुख्यालय
महासमुंद
मातृ जिला
सीमावर्ती जिले (4)
सीमावर्ती राज्य(1)
1. ओडिशा
1. पिथौरा, 2. बसना, 3. महासमुंद, 4. सरायपाली, 5. बागबहरा
विकासखण्ड (5)
1. पिथौरा, 2. बसना, 3. महासमुंद, 4. सरायपाली, 5. बागबहरा
1. महासमुंद. 2.बागबहरा, 3. सरायपाली
विधानसभा क्षेत्र (4)
1. बसना, 2. सरायपाली (SC), 3. महासमुंद, 4. खल्लारी
लोकसभा क्षेत्र (1)
1. महासमुंद (अनारक्षित)
प्रमुख जनजाति
भतरा, सौंरा
राष्ट्रीय राजमार्ग
NH 53 (राजनांदगांव-दुर्ग-रायपुर-महासमुंद)
NH 153 (सरायपाली-महासमुंद-रायगढ़)
पिनकोड
493445 (महासमुंद)
आधिकारिक वेबसाइट

• औद्योगिक क्षेत्र -

1. बिरकोनी

• खनिज -

• चूना पत्थर -
सराईपाली क्षेत्र।

• स्वर्ण धातु -
रेहटीखोल, लिमुआगुड़ा।

• फ्लोराइड -
कुकुरमुता, घाटकछार, चुराकुट्ठा।

• आश्रम -

1. विवेकवर्धन आश्रम

• मुख्य नदी

1. सूखा नदी

• छत्तीसगढ़ के गढ़ -

1. खल्लारी
2. सुअरमार
3. मोहंदी
4. सिरपुर

• सांस्कृतिक समारोह -

1. सिरपुर - सिरपुर महोत्सव
2. खल्लारी - खल्लारी महोत्सव
3. अर्जुनी (पिथौरा) - करियाध्रुव मेला

• मेले -

1. सिरपुर का मेला
2. चण्डी मेला, बागबहरा (चैत्र पूर्णिमा)
3. खल्लारी मेला (चैत्र पूर्णिमा)

• जंगल सत्याग्रह -

1. लभरा जंगल सत्याग्रह -
प्रारंभ - 8 सितम्बर 1930
नेतृत्वकर्ता - अरिमर्दन गिरी

2. तमोरा जंगल सत्याग्रह -
प्रारंभ - 9 सितम्बर 1930
नेतृत्वकर्ता - शंकर गनोदवाले और बालिका दयावती
• बालिका दयावती द्वारा तात्कालिक अनुविभागीय अधिकारी को जंगल में प्रवेश वर्जित करने के कारण तमाचा मारा गया था।

• नदी परियोजना -

1. कोडार परियोजना (वीर नारायण सिंह परियोजना)
2. केशवा नाला परियोजना
3. जोंक परियोजना

महासमुंद जिले का इतिहास

महासमुंद जिला अपनी सांस्कृतिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। यह क्षेत्र 'सोमवंशीय सम्राट' द्वारा शासित 'दक्षिण कोशल' की राजधानी थी, यह सीखने का केंद्र भी हैं। यहाँ बड़ी संख्या में मंदिर हैं, जो अपने प्राकृतिक और सौंदर्य के कारण हमेशा आगंतुकों को आकर्षित करते हैं। यहाँ के मेले/त्यौहार लोगों के जीवन का हिस्सा बन गए हैं। दक्षिण कोशल यानी, वर्तमान छत्तीसगढ़ के सिरपुर की स्थिति सभी अंतरराष्ट्रीय प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थलों के शीर्ष पर है। सिरपुर, पवित्र महानदी नदी के तट पर स्थित है, यह पूरी तरह से सांस्कृतिक और स्थापत्य कला का विलय है। पूर्व में (सोमवंशीय सम्राटों के समय) में सिरपुर 'श्रीपुर' के नाम से जाना जाता था, और यह दक्षिण कोशल की राजधानी थी। महत्वपूर्ण और मूल प्रयोगों के साथ ही धार्मिक, आध्यात्मिक, ज्ञान और विज्ञान के मूल्यों की वजह से सिरपुर की स्थिति भारतीय कला के इतिहास में बहुत ही खास है।

महासमुंद जिले में पर्यटन स्थल

सिरपुर

• पूर्व नाम - श्रीपुर, चित्रांगदापुर
• यह महानदी के तट पर स्थित है।
• प्राचीन कला केन्द्र के रूप में - सिरपुर मल्हार एवं रतनपुर प्रसिद्ध थे।
• अर्जुन पुत्र भब्रुवाहन की राजधानी।
• यहां पर बौद्ध हिन्दू और जैन मंदिरों और मठों के स्मारक है।
• यह धार्मिक, ऐतिहासिक, पुरातात्विक स्थल है, जिसे प्राचीन काल में श्रीपुर एवं चित्रांगदापुर के नाम से भी जाना जाता है। जिसे पुरीय वंशीय एवं पान्डुवंशीय शासकों की राजधानी होने का श्रेय है।
• बौद्ध ग्रंथ अवदान शतक के अनुसार महात्मा बुद्ध यहाँ आये थे।
• चीनी यात्री ह्वेनसांग ने महाशिवगुप्त बालार्जुन के शासनकाल के दौरान 639 ई. (7वी शताब्दी) ई. में सिरपुर की यात्रा की।

1. लक्ष्मण मंदिर -
• निर्माण - 7 वी सदी
• प्रशस्ति रचना - कवि ईशान देव ने
• गर्भगृह में - भगवान विष्णु की प्रतिमा है।
• निर्माणकर्ता - पाण्डुवंशीय शासक हर्ष गुप्त की पत्नी वासटादेवी ने अपने पति के स्मृति में निर्माण कार्य प्रारंभ किया था।
• महाशिवगुप्त बालार्जुन के काल में निर्माण कार्य पूर्ण हुआ।
• यह मंदिर पूर्ण लाल ईंटों से बना है, जिसमें देवी - देवताओं , पुष्प एवं पशुओं का कलात्मक चित्रांकन किया गया है। 

2. स्वास्तिक बौद्ध विहार -
• स्वास्तिक विहार बौद्ध धर्म से संबंधित है।
• अवदान शतक के अनुसार गौतम बुद्ध यहां आए थे।
• यात्रियों का राजकुमार के नाम से प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सिरपुर की यात्रा (635-640) की थी जो कि 639 ई. को सिरपुर आये थे।
•  यहां प्रतिवर्ष बुद्ध पूर्णिमा में सिरपुर महोत्सव का आयोजन एवं माघ पूर्णिमा में मेला लगता है।

3. आनंद प्रभु कुटीर विहार -
• पाण्डुवंशीय शासक महाशिवगुप्त बालार्जुन के काल में 650 ई. में बौद्ध भिक्षु आनंद प्रभु के द्वारा।

4. गंधेश्वर महादेव मंदिर -
• स्थापना - 8वीं शताब्दी
• गंधेश्वर महादेव मंदिर का जीर्णोद्वार चिमनाजी मोंसले ने कराया था।

5. तिवरदेव विहार -
•  पंचतंत्र आधारित प्रसिद्ध कहानियाँ रूपायित है।

6. बालेश्वर महादेव का मंदिर -
• श्वेतगंगा कुण्ड

खल्लारी

• प्राचीन नाम - खल्लवाटिका
• महाभारत कालीन स्थल

■ खल्लारी माता मंदिर
• यह मंदिर कल्चुरी शासक ब्रम्हदेव के शासन काल के दौरान 1415 ई. में देवपाल नामक व्यक्ति द्वारा निर्मित।
• विशेष – मंदिर से 3 किमी . की दूरी पर गुंबदनुमा चट्टान है जहां पर खल्लारी माता की बहन खोपड़ा निवास करती थी।

■ भीम खोह (भीम का पद चिन्ह)

■ लाक्षागृह - यहां दुर्योधन ने पांडवों को जलाकर मारने का षड्यंत्र रचा था।

अन्य पर्यटन स्थल

• चंडीमाता मंदिर - घुंचापाली बीरकोनी गांव (बागबहरा)
• मुंगई माता का मंदिर - बावनकेरा (महासमुंद)
• हजरत जाकिर शाह कादरी रहमतुल्लाह अलैह दरगाह -  बावनकेरा (महासमुंद)
• कोडार बांध - महासमुंद
• सुअरमारगढ़
• देवदरहा जलप्रपात
• दलदली - यहां पर प्राचीन शिव मंदिर और गोधारा है जहां निरंतर जल प्रवाह होता रहता है ।

• विशेष - पूर्व की सबसे ऊंची चोटी धारीडोंगर (899 मीटर l, शिशुपाल पर्वत महासमुंद जिले में स्थित है।

केन्द्र संरक्षित स्मारक

1. सिरपुर स्थित समस्त टीले
2. लक्ष्मण मंदिर - सिरपुर

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