छत्तीसगढ़ी में बैलगाड़ी के भाग | छत्तीसगढ़ी शब्दकोष | Parts of Bullock cart in Chhattisgarhi

बैलगाड़ी - बैलगाड़ी बैलों से खींची जाने वाली गाड़ी या यान है। यह विश्व का सबसे पुराना यातायात का साधन एवं सामान ढ़ोने का साधन है। यह यातायात का एक साधन भी है और मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में प्रयोग में लाया जाता है। इसे बैलों द्वारा खींचा जाता हैं। इसकी डिजाइन बहुत सरल होती है और परम्परागत रूप से इसे स्थानीय संसाधनों से स्थानीय कारीगर बनाते रहें हैं।

Parts of Bullock cart in Chhattisgarhi

डांड़ी - लकड़ी या लोहे का ढांचा जिस पर बैलगाड़ी बना होता है, प्रायः इसमें एक ही लकड़ी का उपयोग किया जाता है।

सुमेला - लगभग 1.5 फीट लंबा लकड़ी या लोहे का बना हुआ डंडा, जो बैलों को जोड़ने के काम आता है।

तुतारी - छड़ी जिसमें सामने के भाग में कील लगी होती है।

गेरुवा - बैल को बांधने की रस्सी।

घूर खिली - लंबा मोटा मजबूत लोहे की कील, जो बैलगाड़ी के सामने की और दोनों डाड़ी को जोड़ता है।

नाहना - चमड़े की बनी रस्सी।

बरही - चमड़े की बनी रस्सी जुड़ा बांधने के लिए।

कनखिली - धुरी से पहिये के बाहर लगा कील।

टेकनी - गुलेल के आकार की लकड़ी से बनी तिनपनिया, जो गाड़ी को रिथर रखने में सहायता करती है।

छकड़ा गाड़ी - बैलगाड़ी का छोटा रूप जो सिर्फ सवारी ढोने के काम में आता है। छकड़ा गाड़ी में बरसात और धूप से बचने के लिए ऊपर बांस के फांको से बना छत भी बना दिया जाता है।

टट्टा - बैलगाड़ी में धूप या बरसात आदि से बचने हेतु लगाया गया छत, जो कि बांस की फांक से बना होता है।

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