राम वन गमन पथ | Ram Van Gaman Path | छत्तीसगढ़ के वह स्थान जहां से श्री राम गुजरे थे

भगवान श्री राम ने अपने वनवास की 14 साल की अवधि में से 10 साल की अवधि छत्तीसगढ़ में गुजारा। आज भी छ्त्तीसगढ़ में पौराणिक, धार्मिक व ऐतिहासिक मान्यताओं के आधार कई ऐसे स्थान मिल जाएंगे, जिन्हें भगवान राम से जोड़कर देखा जाता है। रामवनगमन पथ में इन सभी स्थानों को सरकार जोड़ने का प्रयास कर रही है।

Ram Van Gaman Path

रामायण के मुताबिक भगवान राम ने वनवास का वक्त दंडकारण्य में बिताया। छत्तीसगढ़ का बड़ा हिस्सा ही प्राचीन समय का दंडकारण्य माना जाता है। अब उन जगहों को नई सुविधाओं के साथ विकसित किया जा रहा है, जिन्हें लेकर यह दावा किया जाता है कि वनवास के वक्त भगवान यहीं रहें।

राम वन गमन पथ | Ram Van Gaman Path

छत्तीसगढ़ भगवान श्रीराम के ननिहाल के रूप में संपूर्ण विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है। कोरिया जिले के सीतामढ़ी हरचौका से लेकर सुकमा के रामाराम तक लगभग 2260 किलोमीटर का राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकसित किया जा रहा है। राम के वनवास काल से संबंधित 75 स्थानों को चिन्हित कर उन्हें नये पर्यटन सर्किट के रुप में आपस में जोड़ा जा रहा है। पथ का विकास लगभग 133 करोड़ 55 लाख रूपए की लागत से किया जा रहा है।

शुरुवात - 22 नवम्बर 2019
उद्घाटन- 07 अक्टूबर 2021
स्थान - चन्दखुरी (रायपुर)
कुल लंबाई - 2260 किलोमीटर
प्रथम चरण में शामिल - 10 स्थल
द्वितीय चरण में शामिल - 42 स्थल
मार्ग - सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया) से रामाराम (सुकमा) तक
आधार - 1. मन्नूलाल यदु - दंडकारण्य रामायण, डॉ. हेमू यदु - छत्तीसगढ़ पयर्टन में "राम वनगमन पथ"
शोध - शोध अनुसार भगवान राम अपने वनवास के 14 वर्ष का लगभग 10 वर्ष दंडक वन (छत्तीसगढ़) में व्यतीत किए थे।

वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान राम छत्तीसगढ़ में बनास नदी से मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में प्रवेश किया जहां उनका प्रथम चरण स्पर्श सीतामढ़ी हरचौका/घाघरा में हुआ

प्रथम चरण में राम वन गमन पथ में शामिल स्थल

1. सीतामढ़ी हरचौका (मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर) - भगवान श्रीराम के प्रथम चरण स्पर्श स्थल , अत्रिमुनि का आश्रम।
 
2. रामगढ़ की गुफा (सरगुजा) - सीताबेंगरा व लक्ष्मणबेंगरा की गुफा स्थित है।

3. शिवरीनारायण - खरौद (जांजगीर - चांपा) - भगवान राम ने माता शबरी के जूठे बेर खाये थे।

4. तुरतुरिया आश्रम (बलौदाबाजार) - बारनवापारा अभ्यारण्य में स्थित तुरतुरिया वाल्मीकि ऋषि का आश्रम स्थित है जहाँ लव - कुश का जन्म हुआ था।

5. चंदखुरी, चंपारण (रायपुर) - भगवान श्रीराम का ननिहाल।

6. राजिम (गरियाबंद) - लोमश ऋषि आश्रम।

7. सप्तशृंगी ऋषि आश्रम, सिहावा (धमतरी) - श्रृंगी ऋषि व सप्तऋषि आश्रम।

8. जगदलपुर (बस्तर) - दलपत सागर, चित्रकोट, तीरथगढ़।

9. रामाराम (सुकमा) - भगवान श्रीराम द्वारा भूदेवी की पूजा।

10.  मुकुन्दपुर नगरी (धमतरी) - भगवान श्रीराम की मूर्ति का भव्य अनावरण, श्रीराम वाटिका, रामायण महोत्सव।

ये सभी स्थान पहले ही प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर हैं। वृक्षारोपण के जरिए अब इन्हें और भी हरा-भरा किया जा रहा है। सभी चयनित पर्यटन - तीर्थों पर सुगंधित फूलों वाली सुंदर वाटिकाएं भी तैयार की जाएंगी। राम वन गमन के 528 किलोमीटर मार्ग के दोनों किनारों पर डेढ़ लाख से अधिक पौधे का रोपण वन विभाग द्वारा चालू वर्ष के दौरान किया गया है। इस पूरे मार्ग पर पीपल, बरगद, आम, हर्रा, बेहड़ा, जामुन, अर्जुन, खम्हार, आंवला, शिशु, करंज, नीम आदि के पौधों का रोपण शामिल हैं। राम वन गमन पथ के माध्यम से दुनियाभर के सामने जैव विविधता का दर्शन भी होगा।

दूसरे चरण में राम वन गमन के लिए चयनित स्थल

मनेन्द्रगढ़ - चिरमिरि - भरतपुर - सीतामढ़ी घाघरा, कोटाडोल, सिद्ध बाबा आश्रम, सीमामढ़ी कनवाई देवसील, अमृतधारा

कोरिया - रामगढ़ (सोनहट)

सरगुजा - देवगढ़, महेशपुर, बंदरकोट (अंबिकापुर से दरिमा मार्ग), मैनपाट, मंगरेलगढ़, पम्पापुर

जशपुर - किलकिला (बिलद्वार गुफा), सारासोर, रकसगण्डा

सक्ती - चंद्रपुर (चंद्रहासिनी)

जांजगीर - चांपा - खरौद, जांजगीर

बिलासपुर - मल्हार

बलौदाबाजार भाटापारा - धमनी, पलारी, नारायणपुर (कसडोल)

महासमुंद - सिरपुर

रायपुर - आरंग, चंपारण्य

गरियाबंद - फिंगेश्वर

धमतरी - मधुबन (राकाडीह), अतरमरा (अतरपुर), सीतानदी

कांकेर - कांकेर (कंक ऋषि आश्रम)

कोण्डागांव - गढ़धनोरा (केशकाल), जटायुशीला (फरसगांव)

नारायणपुर - नारायणपुर (रक्सा डोंगरी), छोटे डोंगर

बस्तर - चित्रकोट, नारायणपाल, तीरथगढ़

दंतेवाड़ा - बारसूर, दंतेवाड़ा, गीदम

सुकमा - रामाराम, इंजरम, कोंटा

राम वनगमन परिपथ में चिन्हित 75 स्थल

छत्तीसगढ़ में राम वन गमन पथ से जुड़े जगहों के साथ-साथ कुल 75 जगहों को चिह्नित किया गया है, जिसे नए पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जाएगा। ये सभी जगह भगवान राम के वनवास काल से संबंधित है। उन जगहों का भगवान राम से कोई न कोई नाता है। पहले चरण में नौ जगहों पर काम चल रहा है। इसमें उत्तरी छत्तीसगढ़ में कोरिया से लेकर दक्षिण में सुकमा तक शामिल है।

मनेन्द्रगढ़ - चिरमिरि - भरतपुर - 1. सीतामढ़ी हरचौका, 2. सीतामढ़ी घाघरा, 3. कोटाडोल, 4. सीमामढ़ी छतौड़ा (सिद्ध बाबा आश्रम), 5. देवसील, 6. अमृतधारा, 7. जटाशंकरी गुफा

कोरिया - 8. रामगढ़ (सोनहट), 9. बैकुण्ठपुर (पटवा - देवगढ़)

सूरजपुर - 10. सीतालेखन (ओड़गी बिहारपुर), 11. सूरजपुर (राममंदिर), 12. विश्रामपुर (विश्रवा ऋषि आश्रम), 13. मरह‌ट्टा (राम-लक्ष्मण पायन), 14. बिलद्वार गुफा (महरमण्डा ऋषि आअम), 15. सारासोर (सीताकुण्ड), 16. रक्सगण्डा

सरगुजा - 17. देवगढ़ (जमदग्नि ऋषि आश्रम), 18. सीताबेंगा-जोगीनार गुफा (रामगढ़ पहाड़ी), 19. रामगढ़ (रामगिरि पर्वत), 20. सीताकुण्ड, 21 हाथीपोल गुफा (ऋक्ष बिल), 22. लक्ष्मणगढ़, 23 महेशपुर, 24. केसरी वन (बंदरकोट, 25. शरभंग ऋषि का आश्रम, मैनपाट, 25. सीतापुर, 27. मंगरेलगढ़, 28. महारानीपुर (देऊर मंदिर), 29. पम्पापुर (किंधा)

जशपुर - 30. किलकिला (पत्थलगांव)

रायगढ़ - 31. रामझरना, 32. धरमजयगढ़ (अम्बे टिकरा)

सक्ती - 33. चंद्रपुर (चंद्रहासिनी देवी)

सारंगढ़ - बिलाईगढ़ - 34. पुजारीपाली, 35. कोसीर (कुश की राजधानी)

जांजगीर - चांपा - 36. शिवरीनारायण (शबरीनारायण), 37. पचरीघाट (पैसरघाट), 38. खरौद (खरदूषण की राजधानी), 39. जांजगीर

बिलासपुर - मल्हार (छत्तीसगढ़ की प्राचीन राजधानी)

बलौदाबाजार भाटापारा - 41. नारायणपुर (कसडोल), 42. धमनी, 43. पलारी (सिद्धेश्वर महादेव), 44. तुरतुरिया (वाल्मीकि वाश्रम)

महासमुंद - 45. सिरपुर (राम एवं लक्ष्मण मंदिर)

रायपुर - 46. आरंग (कौशल्या एवं बाघेश्वर शिव मंदिर), 47. माता कौशल्या मंदिर, चंद्रखुरी, 48. चम्पारण

गरियाबंद - 49. फिंगेश्वर (माण्डव्य ऋषि आश्रम), 50. राजिम (लोमश ऋषि आश्रम), 51. अतरमरा (अत्रि आश्रम)

धमतरी - 52. रूद्री (रुद्रेश्वर महादेव), 53. सिहावा (श्रृंगीऋषि व सप्तर्षि आश्रम), 54. सीतानदी (वाल्मीकि आश्रम)

कांकेर - 55. कांकेर (कंक ऋषि आश्रम), 56. जुनवानी (कांकेर)

कोण्डागांव - 57. गढ़धनोरा (केशकाल), 58. जटायुशीला (फरसगांव)

नारायणपुर - 59. नारायणपुर (ताडुकी ताड़कासुर), 60. रक्साडोंगरी, 61. छोटेडोंगर (पिप्पलिका वन)

बस्तर - 62. पंचाप्सर तीर्थ माण्डकर्णी आश्रम, 63. मधुपुरी (मधोता), 64. चित्रकोट (राम-सीता लीला स्थली), 65. नारायणपाल (नारायण मंदिर), 66. जगदलपुर, 67. दंतेश्वरी मंदिर (बस्तर), 68. तीरथगढ़ (सीता नहानी), 69. कुटुम्बसर (कोटि महेश्वर)

दंतेवाड़ा - 70. बारसूर (बाणासुर की राजधानी), 71. दंतेवाड़ा (दंतेश्वरी देवी), 72. गीदम (गिद्धराज की राजधानी)

सुकमा - 73. रामाराम, 74. इंजरम, 75. कोन्टा (शबरी नदी)

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