सक्ती जिला | सक्ती जिले का इतिहास एवं सामान्य परिचय | Sakti District

सक्ती जिले का मुख्यालय सक्ती जो कि राष्ट्रीय राजमार्ग 49 पर स्थित है। सक्ती जिला गठन की घोषणा 15 अगस्त 2021 को मुख्यमंत्री के द्वारा की गई थी। यह छत्तीसगढ़ का 33 वां जिला है। सक्ती जिला का उद्घाटन 9 सितंबर 2022 को मुख्यमंत्री ने किया। चार ब्लाक सक्ती, मालखरौदा, जैजैपुर और डभरा को मिलाकर यह जिला बनाया गया है। सक्ती 14 देशी रियासतों में से एक था। यहाँ गोंड राजाओं का शासन चलता था। इस रियासत के संस्थापक हरि एवम गुजर थे। जिले में डोलोमाइट के प्रचुर भंडार हैं। इसलिए इसे भारत का डोलोमाइट हब कहा जाता है।

Sakti District

सक्ती जिले का सामान्य परिचय

09 सितंबर 2022
जिला मुख्यालय
सक्ती
मातृ जिला
सीमावर्ती जिले (4)
1. सक्ती, 2. नया बाराद्वार, 3. जैजैपुर, 4. डभरा, 5. मालखरोदा, 6. अड़भार
विकासखंड (4)
1. सक्ती, 2. जैजैपुर, 3. डभरा, 4. मालखरोदा
1. सक्ती
विधानसभा क्षेत्र (3)
1. सक्ती, 2. जैजैपुर, 3. डभरा - चन्द्रपुर
राष्ट्रीय राजमार्ग
NH 49 (बिलासपुर-रायगढ़ मार्ग)
पिनकोड
495689 (सक्ती)
आधिकारिक वेबसाइट

• प्रमुख नदियां -

1. महानदी

2. लात नदी

• खनिज -

1. चूना पत्थर - बाराद्वार , महुआ कापा 

• कॉलेज / विश्वविद्यालय -

1. जे.एल.एन. महाविद्यालय सक्ती
2. रामबाई कन्हैयालाल साहू, कला महाविद्यालय हसौद
3. शास.महाविद्यालय डभरा
4. शासकीय कांति कुमार भारतीय महाविद्यालय सक्ती
5. शासकीय नवीन महाविद्यालय जैजैपुर

• मुख्य परियोजना -

1. साराडीह बैराज
2. कलमा बैराज

सक्ती जिले का इतिहास

सक्ती 14 देशी रियासतों में से एक था। यहाँ गोंड राजाओं का शासन चलता था। इस रियासत के संस्थापक हरि एवम गुजर थे। जिले में डोलोमाइट के प्रचुर भंडार हैं। इसलिए इसे भारत का डोलोमाइट हब कहा जाता है। कृषि उपकरणों का निर्माण भी यहां बड़े पैमाने पर किया जाता है। महानदी, सोन और बोरई इस क्षेत्र से बहने वाली प्रमुख नदियां हैं।

सक्ती जिले में पर्यटन स्थल

सक्ती

 सक्ती - दमऊदहरा (गुंजी), पंचवटी, रावनखोल

ऋषभ तीर्थ

इसे दमउदहरा नाम से भी जाना जाता है जहां पर जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभ देव की मूर्ति है।
• यहां पहाड़ी नाला पर झरना बहती है जिसे दमउदहरा जलप्रपात के नाम से जानते हैं।
• गुंजी में सातवाहन वंशीय राजकुमार वरदत्तश्री की शिलालेख प्राप्त हुआ है, जिसमें अपने आयु वृद्धि के लिए ब्राम्हणों को 1000 गाय दान देने का उल्लेख है।
• रामजानकी एवं राधा - कृष्ण मंदिर, जोबा पहाड़ आश्रम, छछान पानी, रैनखोल स्थित है।

तुर्रीधाम 

■ तुर्रीधाम (बासिन) - मकर संक्रांति व महाशिवरात्रि में मेला होता है। यहां प्राकृतिक शिवलिंग स्थापित है, जिसमें अनवरत जलधारा बहती रहती है।

अड़भार

 अड़भार - अष्टभुजी माता मंदिर, भग्न शिव मंदिर

चंद्रपुर

चन्द्रहासिनी देवी एवं नाथल दाई का मंदिर स्थित है। नाथल दाई का मंदिर महानदी के बीचो - बीच स्थित है। यह कोसा शिल्प के लिए मशहूर स्थान है। मांड और महानदी के संगम पर चंन्द्राहासिनी देवी मंदिर स्थित है।

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